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    जैसा रखोगे भाव, वैसी मिलेगी कृपा

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    Updated: Sat, 04 Feb 2012 11:50 PM (IST)

    पानीपत, जागरण संवाद केंद्र : जैसा रखोगे भाव, वैसी मिलेगी परमात्मा की कृपा। शिव व दुर्गामाता की शरण में जो जाता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। यह बात शनिवार को सत्संग के दौरान अवधूत बाबा शिवानंद ने कही।

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    उन्होंने कहा कि परमात्मा दाता हैं, हम सब भिखारी हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वो देने के लिए हमारे पीछे पीछे भागते हैं। सत्संग तो कृपा पाने के लिए होता है, टाइम पास करने के लिए। परमात्मा जीवन प्रत्यक्ष कर देता है। दुर्गा सप्तशती शक्ति साधना का उच्चतम ग्रंथ है। चेतना जगाने का ग्रंथ है। कई जन्मों में जो कार्य किया है वो संचित होकर दुखों का कारण बन जाता है। दुखों से मुक्ति के लिए ही सप्तशती का पाठ किया जाता है। सत्संग में भगवान को आग्रह करके बुलाया हूं, भक्ति भाव से जो मांगोगे जरूर मिलेगा।

    बाबा शिवानंद ने कहा कि बड़े बड़े आलीशान घरों में हर चीज का अलग अलग कमरा होता है। अतिथि का कमरा भी अलग होता है। लेकिन भगवान का कमरा होता ही नहीं है। रसोईघर में किसी आले में भगवान को रख देते हैं। लेकिन आप सब ऐसा नहीं करना। भगवान के लिए अलग से एक ऐसा कमरा बनाना जहां फर्नीचर नहीं हो। जमीन पर दरी व गद्दे रखे हों। कमरे में संभव हो सके तो कालीन रख देना। खंडित मूर्ति, टूटा दीया व फटे कैलेंडर घर में नहीं रखना। बाबा ने भक्तों को आलमारी में मंदिर न बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जो चेतना तुम्हारे भीतर है वही परमात्मा के भीतर है। जैसा भाव रखोगे, वैसी ही कृपा मिलेगी। शिवलिंग परमब्रह्मा का सूचक है। समाज में एक बुद्धिहीन प्रचार हो चुका है कि घर में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। शिव की शरण में जो गया, उसका जीवन सफल हो जाएगा। परमात्मा की पूजा करो, गुरुओं ने भी शिवलिंग रूप की साधना की है। लेकिन टोने टोटके व ताबीज निकाल कर बाहर फेंक दो। शिवलिंग के आगे दीये जलाओगे, तो लक्ष्मी घर में वास करेगी।

    शुंभ निशुंभ का प्रसंग सुनाया : बाबा शिवानंद ने सत्संग में दुर्गा सप्तशती में दिए शुंभ व निशुंभ का प्रसंग सुनाया। उसके अनुचर चंड मुंड के संहार की भी व्याख्या की। देवी भगवती ने चंडिका का रूप धारण रक्तबीज का संहार किया। फिर शुंभ व निशुंभ का भी वध किया। बाबा ने कहा कि घर में जब कन्या जन्म ले तो आंख बंद कर दुर्गा माता का ध्यान करें। लक्ष्मी रूप में कन्या ने अवतार लिया है। कन्या के जन्म पर चिंतित नहीं हों। जिस रूप में आप देवी का ध्यान करोगे उसी रूप में दौड़ी चली आएंगी। प्रतिदिन कंबल व ऊन के आसान पर बैठकर जाप करना, सारी शक्ति मन में बैठ जाएगी। नर सेवा नारायण सेवा है। इससे मालामाल व खुशहाल हो जाओगे।

    पंडाल में घूमने पर लगाई पाबंदी

    बाबा शिवानंद 4.50 बजे दुर्गा सप्तशती में दिए मंत्रों के बार में भक्त को बता रहे थे। पंडाल में कहीं कहीं लोग इधर उधर आ-जा रहे थे। मंच पर विराजमान बाबा ने पंडाल में न घूमने की बात कही। कुछ देर बाद भी भक्त जब नहीं माने तो बाबा ने भक्तों को उन्हें पकड़ कर बाहर कर देने की बात कही। भक्त सक्रिय हुए व पंडाल में सभी गेटों पर तैनात निजी सुरक्षा गार्डो से सख्ती बरतने की हिदायत दी।

    कारों में सवार होकर पहुंचे भक्त : बाबा शिवानंद के दो दिवसीय शिव योग सत्संग में शिरकत करने के लिए दूर दराज से भक्त एसी गाड़ियों में सवार होकर पानीपत पहुंचे। पंडाल के बाहर सैकड़ों बाइक व गाड़ियां खड़ी दिखाई दी।

    झलकियां :

    -सत्संग के दौरान 4.35 बजे होने लगी बूंदाबांदी।

    -बाबा के साथ साध्वी भी लाल वस्त्रों में मंच पर हुई विराजमान।

    -दुर्गा सप्तशती व शिव स्तुति का कराया पाठ।

    -मंत्र का जाप कर भक्त झूमने लगे।

    -50 फीसद वीआइपी कुर्सियां रही खाली। इन कुर्सियों पर दूसरे भक्तों को नहीं दिया बैठने।

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