75 साल की दर्शना दादी ने जेवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल
जीतने की जिद और खुद 75 साल की दर्शना दादी ने जेवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल।
जागरण संवाददाता, पानीपत : जीतने की जिद और खुद पर भरोसा हो तो कठिन लक्ष्य भी सरल हो जाता है। कहावत है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती। 75 वर्षीय सेक्टर 17 निवासी दर्शना देवी ने एशिया पैसिफिक मास्टर्स गेम्स में एक गोल्ड, एक सिल्वर और 3 कांस्य पदक जीतकर साबित कर दिया कि खेलने की भी कोई उम्र नहीं होती। जागरण संवाददाता से जीत के क्षण शेयर करते हुए दादी दर्शना के चेहरे पर किसी बच्चे की तरह मुस्कान दिखी। अब उनकी नजर 2021 में जापान में होने वाले वर्ल्ड मास्टर गेम्स पर टिकी हैं।
गौरतलब है कि इंटरनेशनल मास्टर गेम्स एसोसिएशन की ओर से मलेशिया के पिनांग सिटी में एशिया पैसिफिक मास्टर्स गेम्स का आयोजन 7-15 सितंबर तक हुआ। इसमें दर्शना देवी सहित हरियाणा के सुशील कुमार (वेट लिफ्टिर),अनिल कुमार(धावक), मगन ¨सह (धावक), आबिद हुसैन (वेट लिफ्टिर) और तेज ¨सह ने भी बतौर धावक हिस्सा लिया। मलेशिया से लौटने के बाद दर्शना देवी ने बताया कि 75 वर्ष आयु वूमन वर्ग में विभिन्न देशों की 6 प्लेयर्स को पराजित करते हुए गोल्ड मेडल जीता है। 1500 मीटर वॉक में सिल्वर मेडल सहित 5000 मीटर वॉक, 100 मीटर दौड़ और रिले रेस में कांस्य पदक जीतकर अपने जुनून का लोहा मनवाया। घर पहुंचने पर सेवानिवृत पति धर्मपाल देशवाल, पुत्र डॉ. सुशील देसवाल और पौत्री सुमिता सहित पड़ोसियों ने उनका स्वागत किया।
बेटी सुशीला और सुमन, पौत्र सुमित और साहिल ने फोन पर उन्हें जीत की बधाई दी है। दर्शना देवी ने बताया कि अब उनका लक्ष्य वर्ष 2021 में जापान में आयोजित होने वाली वर्ल्ड मास्टर गेम्स में हिस्सा लेना है। स्वास्थ्य ने साथ दिया तो वहां से भी पदक जीतकर लाऊंगी और भारत नाम बुलंद करेंगी।
गुरुद्वारा में किया भोजन
दर्शना देवी ने बताया इस प्रतियोगिता में 76 हजार रुपये का खर्च आया है। जिस होटल में ठहराया गया था, वहां ब्रेक फास्ट तो मिलता था लेकिन भोजन बहुत महंगा था। नॉनवेज नहीं खाती इसलिए भी दिक्कत हुई। पिनांग सिटी में एक गुरुद्वारा है, दोनों समय का भोजन वहीं खाते थे। लंगर में दाल राजमा चावल, चपाती-सब्जी भी मिल जाती थी। स्वेच्छा से दान पात्र में रकम डाल देती थी। एक दिन दो सेब खरीदे, उनकी कीमत 118 रुपये 40 पैसे चुकानी पड़ी।
फुटबॉल का मैच देखा
मलेशिया की यात्रा कैसी रही? इस प्रश्न पर उनके चेहरे पर खुशी तैर गई। उन्होंने बताया कि एक दिन हमें ऐसे स्टेडियम में ले जाया गया जहां भारत और मंगोलिया के बीच फुटबॉल मैच खेला गया था। मैच भारत जीता था। समुद्र किनारे भी घुमाया गया। सभी को एक पहचान पत्र दिया गया था। किसी भी बस में चढ़ जाओ, किराया नहीं लिया गया।
दिव्यांग तेज ¨सह ने जीता स्वर्ण पदक
जिला झज्जर के गांव मांगावास निवासी 75 वर्षीय दिव्यांग तेज ¨सह ने भी एशिया पैसिफिक मास्टर्स गेम्स हिस्सा लिया। उन्होंने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा 100 और 200 मीटर दौड़ में रजत पदक हासिल किया। ग्रामीणों ने उनका स्वागत भी गले लगाकर किया। परिवार में किसी पर्व जैसी खुशी देखी गई। तेज ¨सह ने कहा कि हरियाणा सरकार खिलाड़ियों के लिए बहुत कुछ कर रही है। बुजुर्ग खिलाड़ियों को भी कुछ सुविधाएं मिलनी चाहिए।
पांच किमी वॉक में रेवाड़ी के मगन प्रथम
जिला रेवाड़ी के गांव नायन निवासी 79 वर्षीय मगन ¨सह ने चार प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। पांच किमी. तेज चाल 38 मिनट में पूरी कर गोल्ड मेडल जीत लिया। 10 किमी. तेज चाल 1 घंटा 18 मिनट में पूरी कर रजत पदक जीता। डिस्कस थ्रो में भी सिल्वर मेडल प्राप्त किया। पांच हजार मीटर की रेस में वे छटे स्थान पर रहे।
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