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पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज के ब्रह्मलीन के बाद अब पूरी होगी ये परंपरा, दूर-दूर से आएंगे संत

श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज 10 अप्रैल 2020 को ब्रह्मलीन हो गए थे। अब षोडशी भंडारे का आयोजन किया जाएगा। पांच मार्च को षोडशी भंडारे की तिथि निर्धारित की गई हे। इसमें दूर दूर से साधु संत आएंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 04:00 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 04:00 PM (IST)
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज।

यमुनानगर, जेएनएन। उज्जैन (मध्य प्रदेश) के श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व महंत प्रकाशपुरी महाराज गत वर्ष 10 अप्रैल को ब्रह्मलीन हो गए थे। अब पांच मार्च को षोडशी भंडारे का आयोजन उनके गुरु स्थान गांव कलावड़ में किया जाएगा। इसमें आसपास व दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महात्मा शामिल होंगे।

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श्री राधामाई मठ शिव मंदिर कलावड़ के महंत भीमपुरी ने बताया कि महंत प्रकाशपुरी महाराज करीब 40 वर्षों से उज्जैन (मध्य प्रदेश) महाकाल मंदिर परिसर के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में महंत के रूप में पदस्थ रहे। वह प्रतिदिन भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाने की परंपरा का पालन करते थे।

लाकडाउन के कारण नहीं हो सका था भंडारा

महंत भीमपुरी ने बताया कि सन्यासी परंपरा के अनुसार महंत के ब्रह्मलीन होने के सोलह दिन बाद षोडशी परंपरा होती है। जिसमें सोलह महंतों को भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही उन्हें 16 वस्तुएं जैसे कपड़ा, रूद्राक्ष माला, सोना, चांदी, खड़ाऊ, कमंडल, वस्त्र व छतरी इत्यादि दिया जाता है। इसके साथ ही भंडारे का आयोजन किया जाता है, लेकिन लाकडाउन के कारण षोडशी परंपरा तो की गई थी, लेकिन भंडारे का आयोजन नहीं किया गया था।

ये रहेगा कार्यक्रम  

सुबह आठ बजे रूद्राभिषेक किया जाएगा। नौ बजे राधापुरी माता का पूजन, 10 बजे समाधि पूजन व हवन और12 बजे भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

राधा माई मठ से शुरू किया था सन्यासी जीवन  

महंत भीमपुरी बताते हैं कि पूर्व महंत प्रकाशपुरी का सन्यासी जीवन गांव कलावड़ में राधा माई मठ शिव मंदिर से शुरू हुआ था। तब उनकी आयु 10 वर्ष के करीब थी। गुरु संपतपुरी ने उन्हें गांव कलावड़ में ही अपना शिष्य बनाया था। प्रकाशपुरी जी अपने गुरु स्थान पर कई वर्ष बिताने के बाद 1979 में उज्जैन में महंत पद पर विराजमान हुए। गत वर्ष 29 फरवरी को महंत प्रकाशपुरी अपने गुरु स्थान कलावड़ स्थित राधामाई मठ शिव मंदिर में आ गए थे। इसके बाद 10 अप्रैल को वे ब्रह्मलीन हो गए थे। महंत प्रकाशपुरी और गुरु महंत संपतपुरी की समाधि अगल-बगल है।

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