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Lockdown में रोजगार की चिंता, तनाव और नशे के कारण महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार

कोराेना को मात देने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान अजीब और गंभीर समस्‍या सामने आई है। रोजगार की चिंता और तनाव के बीच नशे के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 09:04 PM (IST)
Lockdown में रोजगार की चिंता, तनाव और नशे के कारण महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार
Lockdown में रोजगार की चिंता, तनाव और नशे के कारण महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। कोरोना महामारी की वजह से लाकडाउन के चलते देश भर में लाखों महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हुई हैं। घरेलू हिंसा का मतलब सिर्फ मारपीट से नहीं है। महिलाओं के साथ न केवल गलत व्यवहार किया गया, बल्कि उन्हें अशोभनीय टिप्पणियां (ताने) तक सुनने को मिले। घरेलू हिंसा के मामलों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली और बिहार टाप राज्यों में शामिल हैं। विशेषा इसका मुख्‍य कारण नौकरी और रोजगार की चिंता और इससे पैदा तनाव मानते हैं। इसके साथ ही नशा भी इसके लिए जिम्‍मेदार है।

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सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन में कई राज्यों की महिलाओं ने किया मंथन, केंद्र को जाएगी रिपोर्ट

हरियाणा में भी घरेलू हिंसा के मामले हुए, लेकिन इनकी संख्या बाकी राज्यों की अपेक्षा कम रही। यह अलग बात है कि हजारों मामले ऐसे भी हैं, जिनमें कहीं न तो शिकायत दर्ज कराई गई और न ही पुलिस या मानवाधिकार आयोग तथा महिला आयोग को कोई सूचना दी गई।

सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन की ओर से आयोजित वेबिनार में महिलाओं के प्रति हुई घरेलू हिंसा पर बेहद चिंता जाहिर की गई। हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान इस फाउंडेशन के संयोजक हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के सलाहकार के रूप में भी जागलान काम करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में जागलान की कई बार तारीफ कर चुके हैं। डिजिटल मोड के जरिये हुए इस राष्ट्रीय वेबिनार में हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और राजस्थान की महिलाएं तथा प्रतिष्ठापित लोग जुड़े।

साइबर क्राइम से बचने के प्रति किया गया जागरूक, उत्पीड़न न सहने की आदत डालें महिलाएं

सीमा समृद्धि

सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट एवं निर्भया कांड में वकील सीमा समृद्धि ने महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए आयोजित किए जाने वाली परिचर्चाओं की जरूरत पर जोर दिया। उनका कहना है कि यह बेहद गंभीर मसला है और इसके निदान के लिए कड़े कदम उठाने के साथ ही जागरूकता लाने की जरूरत है। जागरूकता से ही महिलाएं खुद को घरेलू हिंसा जैसी समस्‍या से बचा सकेंगी।

डा. अमृता दूहन

राजस्थान की आइपीएस अधिकारी एवं कोटा की एसपी सिटी डा. अमृता दूहन ने कहा कि पुरुष द्वारा खुद को महिला से आगे मानने की वजह से घरेलू हिंसा का जन्म होता है। महिलाओं को इसे सहना बंद करना होगा। सिर्फ पिटाई को घरेलू हिंसा नहीं माना जाना चाहिए। महिलाओं के प्रति गलत भाषा का इस्तेमाल, गलत आचरण और आर्थिक तंगी के साथ अपमान घरेलू हिंसा का पार्ट हैं। ग्रामीण इलाकों में महिला सरपंच समूह बनाकर महिलाओं को उनके हितों के प्रति जागरूक बना सकती हैं।

डा. अमृता दूहन ने घरेलू हिंसा का मसला सुलझाने के लिए परिवार को तोड़ने से बचने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को साइबर क्राइम से बचने के प्रति भी जागरूक किया। महिलाएं अपने प्रति 100 नंबर, 181 नंबर और 1091 नंबर पर घरेलू हिंसा की शिकायत कर सकती हैं। उन्होंने महिलाओं को ब्लैकमेलिंग से बचने के लिए उनके स्मार्ट फोन पर आने वाले किसी भी लिंक को क्लिक नहीं करने की सलाह दी है।

बालीवुड की फिल्म डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर विभा बख्शी ने कहा कि घरेलू हिंसा किसी एक की प्राब्लम नहीं है। महिलाओं के प्रति पुरुषों को अपनी सोच में बदलाव करना होगा। 90 फीसदी आबादी महिलाओं के प्रति बायस्ड है। इसे दूर करने की जरूरत है।

आरजे दिव्या

आरजे दिव्या ने कहा कि घर पर रहते हुए महिलाओं की बात को अनसुना करना भी घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है। उन्हें लाकडाउन में पांच गुणा काम करना पड़ा, लेकिन किसी ने इसकी परवाह नहीं की। फिल्म थप्पड़ का जिक्र करते हुए उन्होंने तापसी पन्नू के न्याय पाने की जिद का जिक्र करते हुए महिलाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया।

वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने पंजाब में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे उत्पीड़न व घरेलू हिंसा के लिए नशे की लत को जिम्मेदार ठहराया है। पंजाब में कर्फ्यू के दौरान महिलाओं के प्रति 21 फीसदी अपराध बढ़े हैं। इसके पीछे कारण नशा ही है। कर्फ्यू में 35 हजार लोग नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती होने के लिए पहुंचे हैं। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश भारद्वाज भी वेबिनार में शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट बार के सदस्य संदीप राठी ने कहा कि अदालतों में अर्जेंट केस की सुनवाई हो रही है। इसलिए किसी महिला को न्याय का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।

गौरव पांचाल ने लाकडाउन में बिकी अवैध शराब को घरेलू हिंसा की बड़ी वजह बताया। महाराष्ट्र के कृष्णा वानखेड़े ने कहा कि महिलाएं भले ही अपने उत्पीड़न की कहीं रिपोर्ट दर्ज न कराएं, मगर उनका समाधान जरूरी है। इसके लिए काउंसलर नियुक्त किए जाने चाहिएं। मेवात से पूजा ने कहा कि महिला का सोशलेजाइशेन करना ठीक नहीं है। ज्योति ने कहा कि महिलाओं को समझना बेहद जरूरी है। एक पुरुष भी घर के काम में हाथ बंटा सकता है। गुरुग्राम की निर्मला ने न्याय के लिए पिछले 13 साल से लड़ी जा रही लड़ाई का जिक्र किया, जिस पर फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान ने उनकी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया।

फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान ने आखिर में बताया कि करीब आधा दर्जन ग्रामीण व सामाजिक मुद्दों पर वेबिनार आयोजित किए जाएंगे, जिनमें महिलाओं और सरपंचों की खास भागीदारी रहेगी। इस वेबिनार की पूरी रिपोर्ट केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, केंद्रीय महिला आयोग और हरियाणा सरकार को भी भेजी जाएगी। पहली महिला खाप पंचायत कार्डिनेटर रीतू जागलान ने आभार जताया। कार्यक्रम के आयोजन में आशीष और विनोद कुमार का सहयोग रहा।


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