हरियाणा में छात्र संघ चुनाव होगा? दिल्ली और चंडीगढ़ में इलेक्शन की घोषणा के बाद बढ़ी सक्रियता
हरियाणा में छात्र संघ के चुनावों को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। कांग्रेस ने राज्य में चुनाव न कराए जाने पर सरकार से सवाल पूछा है जबकि इनसो चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी के चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने जा रही है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने केंद्र सरकार से विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव न कराने का कारण पूछा है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के राजनीतिक दलों के छात्र संगठन जहां दिल्ली व चंडीगढ़ में होने वाले छात्र संघ के चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं, वहीं कांग्रेस ने राज्य के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में छात्र संघ के चुनाव नहीं कराए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। हरियाणा में 22 साल के लंबे इंतजार के बाद अक्टूबर 2018 में छात्र संघ के अप्रत्यक्ष चुनाव हुए थे।
अप्रत्यक्ष चुनाव होने की वजह से अधिकतर छात्र संघों ने इन चुनाव में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी। भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तक ने भी अप्रत्यक्ष चुनाव का विरोध किया था। तब के बाद से अब तक राज्य में छात्र संघ के चुनाव नहीं हो पाए हैं।
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने 1996 में छात्र संघ के चुनाव पर रोक लगाई थी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2018 में इसे खोल दिया था, लेकिन इन्हें लंबे समय तक नहीं चलाया जा सका। कांग्रेस के रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में केंद्र सरकार से छात्र संघ के चुनाव नहीं कराए जाने की वजह पूछी।
दीपेंद्र हुड्डा ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि पिछले 10 सालों से देश के कितने विश्वविद्यालयों में छात्र संघ के चुनाव हुए और जिनमें नहीं हो पाए, उसकी वजह क्या है। उन्होंने छात्र संघ के चुनाव को लेकर लिंगदोह कमेटी की साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत सिफारिशों को लागू नहीं किए जाने का कारण भी केंद्र सरकार से पूछा।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा के इस सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमजार ने कहा कि ऐसा आंकड़ा सरकार के पास नहीं है, लेकिन लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लागू कराना विश्वविद्यालयों के अधिकार क्षेत्र में आता है। दीपेंद्र ने केंद्रीय राज्य मंत्री के इस जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र व भाजपा शासित राज्य सरकारें लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उदासीन हो गई हैं।
लिंगदोह समिति की सिफ़ारिशों के क्रियान्वयन को पूरी तरह विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी बताकर केंद्र सरकार अपनी भूमिका से पल्ला नहीं झाड़ सकती। सरकार का यह रवैया संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के सरकार के दावों के विपरीत है। दूसरी तरफ, जननायक जनता पार्टी की छात्र इकाई इनसो ने चंडीगढ़ में पांच सितंबर को होने वाले पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव में सक्रिय भागीदारी करने का ऐलान किया है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में लगातार महासचिव और सचिव के पद को जीतने वाली इनसो ने इस बार फिर सभी पदों पर चुनाव लड़ने को लेकर राय लेने की सोची है। दिल्ली छात्र संघ के चुनाव 18 सितंबर को हैं, जिनमें कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआइ व भाजपा का छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भागीदारी करेंगे।
जेजेपी के युवा प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौटाला ने चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटीके छात्र संघ के चुनाव के लिए दो वरिष्ठ छात्र नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। इनसो ने तरुण मदान को चंडीगढ़ यूटी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया हैं। तरुण साल 2016 से लगातार चंडीगढ़ में सक्रिय छात्र राजनीति करते आ रहे है और चंडीगढ़ इनसो के प्रदेश महासचिव रहे हैं।
इनसो ने चंडीगढ़ में विशु को चेयरमैन बनाया हैं। इससे पहले विशु डीएवी कालेज के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार रह चुके है। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि इनसो मजबूती के साथ चंडीगढ़ में चुनाव लड़ेगी। इससे पहले इनसो ने चंडीगढ़ में छात्र संघ चुनाव को लेकर जसविंदर सिंह खैहरा, सोमबीर सिंह, मनोज जोरासी, सचिन चंदौली, राजेश पायलट और पंकज पंवार को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में लगातार विरोध प्रदर्शनों के बावजूद छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जा रहे। जबकि, छात्र लगातार अपनी मांगों को लेकर मुखर हैं। उन्होंने कहा कि जब देश की राजधानी में छात्रसंघ चुनाव हो सकता है तो हरियाणा के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो सकता।
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