Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एंट्रेंस एग्जाम से चूका छात्र तो BA LLB में डायरेक्ट दाखिल के लिए दायर की याचिका, कोर्ट ने लगाया जुर्माना

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 04:11 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक छात्र की याचिका खारिज कर दी जिसमें बिना प्रवेश परीक्षा दिए दाखिले की मांग की गई थी। अदालत ने याचिका को अनुचित बताते हुए छात्र पर जुर्माना भी लगाया। छात्र का दावा था कि उसे परीक्षा की नई तारीख के बारे में सूचित नहीं किया गया था जबकि सरकार ने कहा कि अधिसूचना वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी।

    Hero Image
    प्रवेश परीक्षा से चूके छात्र की याचिका खारिज, कोर्ट ने लगाया 5000 का जुर्माना।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक छात्र की याचिका को 'कानून में अनुचित' बताते हुए खारिज कर दिया है, जिसमें प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने के बावजूद दाखिला देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस यशवीर सिंह राठौड़ की खंडपीठ ने कहा, यह प्रार्थना कानून में अनुचित है इसके किसी भी सूरत में इसे मंजूर नहीं किया जा सकता।

    यह मामला चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, हरियाणा में बीए एलएलबी (आनर्स) में प्रवेश पाने के इच्छुक एक छात्र से संबंधित था। छात्र ने याचिका में कहा कि प्रवेश परीक्षा पहले 2-3 जुलाई को निर्धारित थी, लेकिन बाद में स्थगित कर दी गई और 16 जुलाई को आयोजित की गई।

    जींद निवासी नमन शर्मा दावा था कि वह नियमित रूप से आधिकारिक अपडेट की जांच कर रहा था। याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने नई तारीख के संबंध में समय पर कोई एसएमएस, ईमेल या अपनी वेबसाइट पर नोटिस जारी नहीं किया, जिससे याचिकाकर्ता को परीक्षा में शामिल होने का उचित अवसर नहीं मिला। इसलिए, उसने दाखिले के लिए अपने मामले पर विचार करने या उसके लिए एक अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की मांग की।

    हरियाणा सरकार की ओर से इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि अधिसूचना विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर विधिवत प्रकाशित की गई थी और याचिकाकर्ता प्रवेश परीक्षा में उपस्थित नहीं हुआ था, इसलिए बिना परीक्षा दिए दाखिला नहीं दिया जा सकता।

    दलीलों पर विचार करने के बाद, अदालत ने छात्र को कोई राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह परीक्षा में शामिल नहीं हुआ था। कोर्ट ने कहा कि "अदालत का समय बर्बाद करने" के लिए याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए।