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    अपराधी को जब वोट का अधिकार नहीं तो कैसे लड़ सकता है चुनाव, हाई कोर्ट में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन को चुनौती

    By Jagran NewsEdited By: Kamlesh Bhatt
    Updated: Thu, 17 Nov 2022 06:11 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में 2013 में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि जब अपराधी को वोट देने का अधिकार नहीं होता तो फिर अपराधी को चुनाव लड़ने का अधिकार क्यों है।

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    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 2013 में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने सरकार को 14 मार्च तक जवाब देने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

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    याचिका में कहा गया है कि किसी भी अपराध के दोषी और सजा पाने वाले सभी लोगों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। याची ने कहा कि फिलहाल यह प्रविधान है कि जिस व्यक्ति को सजा मिलती है, उससे वोट डालने का अधिकार तो छिन जाता है, लेकिन वह चुनाव लड़ सकता है। यह कहां तक तर्कसंगत है।

    सरकार ने 2013 में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन कर ऐसा प्रविधान कर दिया था कि दोषी करार व्यक्ति वोट तो नहीं डाल सकता लेकिन चुनाव जरूर लड़ सकता है। याची ने हाई कोर्ट से अपील की है कि दोषी करार दिए गए और सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार नहींं होना चाहिए। ऐसा न करना संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

    याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस पर आधारित खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अपराध करने वालों को वोट डालने का अधिकार क्यों नहीं है, लेकिन चुनाव लड़ने का है। साथ ही एक्ट में संशोधन करने को जिन आधारों पर चुनौती दी गई है, उस पर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई पर इस बारे में केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखना होगा।

    इसी विषय पर दायर एक अन्य याचिका में कोर्ट को बताया गया कि मौजूदा समय में दो वर्ष से कम के कारावास की सजा वालों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाती है, जबकि इससे ज्यादा सजा वाले व्यक्ति को चुनाव लड़ने के अयोग्य माना जाता है। याचिका के मुताबिक मौजूदा नियम समानता के अधिकार के खिलाफ है, क्योंकि अपराध तो अपराध होता है। चाहे यह छोटा हो या बड़ा।

    अगर किसी व्यक्ति को दो साल की सजा हुई है और किसी को दो साल से ज्यादा की सजा हुई है तो दोनों के मामलों में असमानता क्यों। सजा तो दोनों को हुई है। फिर दो साल से कम वाले को चुनाव लडऩे की छूट देना और दो साल से ज्यादा सजा होने वाले को चुनाव न लडऩे देने की इजाजत देना कितना उचित है। इस पर भी हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

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