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    'हमारे प्राकृतिक सुरक्षा कवच को बर्बाद नहीं होने देंगे', अरावली विवाद पर फूटा भूपेंद्र हुड्डा का गुस्सा; बताया भविष्य पर वार

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 02:09 PM (IST)

    भूपेंद्र हुड्डा ने अरावली पर हो रहे प्रहार को लेकर चिंता जताई और इसे बच्चों के भविष्य पर वार बताया। उन्होंने कहा कि अरावली पर्वत हमारी जीवनरेखा है और ...और पढ़ें

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    भूपेंद्र हुड्डा ने अरावली पर हो रहे प्रहार को लेकर चिंता जताई (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, पंचकूला। अरावली को लेकर भूपेंद्र हुड्डा ने अपने X हैंडल पर लिखा कि 'अरावली पर प्रहार बंद करो, बच्चों के भविष्य पर वार मत करो! अरावली पर्वत देश के मानचित्र पर केवल एक लकीर नहीं बल्कि हमारी 'जीवनरेखा' है। गुजरात - राजस्थान - हरियाणा - दिल्ली तक फैली यह सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला को विकास की आड़ में खत्म करने की साजिश हो रही है। 100 मीटर से ऊंचे पहाड़ों को ही अरावली मानने के नये नियम 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले वन क्षेत्रों को खनन माफियाओं के हवाले करने का हथकंडा है। यह विकास नहीं, विनाश को सीधा न्योता है। अरावली हमारा प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, इसे बर्बाद नहीं होने देंगे!'

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    अरावली की हरियाली और जैव विविधता एक बार फिर गंभीर खतरे में है।  सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इसकी कानूनी परिभाषा बदल दी है, जिससे विवाद और बढ़ गया है।

    पर्यावरणविदों का कहना है कि इससे भूजल स्तर घटेगा, प्रदूषण बढ़ेगा और दिल्ली रेगिस्तान में बदल सकती है।

    बार गुर्जर और इससे सटे नूंह जिले के कोटा क्षेत्र में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग और इंडस्ट्रियल वेस्ट का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है।

    बीते दो दिनों में अरावली क्षेत्र में इंडस्ट्रियल वेस्ट में भीषण आग लगने की घटनाओं ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मानेसर और आसपास के क्षेत्र की हवा को भी जहरीला बना दिया है। अरावली के जंगलों में डेढ़ से दो एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल वेस्ट का विशाल ढेर जमा किया गया है।

    यहां खुले कड़ाहों में आग जलाकर प्लास्टिक वेस्ट को पिघलाया जा रहा है। मौके पर कई गैस सिलेंडर भी मिले हैं, जिससे साफ है कि यह काम योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है।

    आग की लपटों और उठते काले धुएं ने पूरे क्षेत्र को गैस चैंबर में बदल दिया है। किसी तरह की रिसाइक्लिंग या अन्य गतिविधि के कारण दोनों जगह पर भीषण आग लग गई।

    कुछ लोगों का मानना है कि यह "अरावली बचाओ" अभियान कुछ लोगों का सिर्फ दिखावा है। उनका तर्क है कि इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा।

    पिछले तीन-चार दशकों में लोगों ने अरावली रेंज को पहले ही बहुत नुकसान पहुंचाया है, तो अब इससे क्या फर्क पड़ेगा?

    फरीदाबाद में अरावली (Aravalli) की नई परिभाषा को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है जिसमें अब तक 40 हजार से अधिक लोगों ने अपनी असहमति दर्ज कराई है।

    प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई परिभाषा से अरावली क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान होगा।