हरियाणा विधानसभा में उठा गुरुग्राम में जलभराव का मुद्दा, दौलताबाद बोले- अंतरराष्ट्रीय पहचान पर पड़ रहा असर
हरियाणा विधानसभा में राकेश दौलताबाद ने गुरुग्राम में जलभराव से होने वाली दिक्कतों का मुद्दा उठाया। कहा कि चार सौ वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम से भी जलभराव की समस्या हल नहीं हुई। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुरुग्राम की पहचान पर असर पड़ रहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के लिए सबसे अधिक राजस्व जुटाने वाले गुरुग्राम जिले में जलभराव से इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान पर असर पड़ रहा है। बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार खासकर नगर निगम गुरुग्राम के मौजूदा प्रयास काफी नहीं हैं। गुरुग्राम महानगरीय विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) के पास काम करने के लिए भरपूर मात्रा में फंड नहीं है। यह स्थिति तब है, जब गुरुग्राम से सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को मिलता है।
गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद ने गुरुग्राम में जलभराव की समस्या को सदन में उठाया। राकेश हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन के चेयरमैन भी हैं। निर्दलीय विधायक के रूप में उन्होंने भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रखा है। गुरुग्राम में जलभराव की वजह से दिल्ली समेत पूरे देश और विदेश का संपर्क इस जिले से कट जाता है। यहां इंटरनेशनल हवाई अड्डा भी है और सैकड़ों मल्टीनेशनल कंपनियों के दफ्तर हैं। बरसात के दिनों में गुरुग्राम में जलभराव के दौरान पूरा सिस्टम चौक हो जाता है।
राकेश दौलताबाद ने विधानसभा में सरकार से पूछा कि जलभराव की समस्या से निपटने के सरकार के क्या प्रयास हैं। इसके जवाब में गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के स्थान पर परिवहन मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गुरुग्राम की जलभराव की समस्या से चिंतित है। नगर निगम गुरुग्राम के सीमा क्षेत्र में 404 वर्षा जल संचयन गड्ढे बनाए गए हैं। आवासीय क्षेत्र में 357 और वाणिज्यिक व संस्थागत क्षेत्र में 47 वर्षा जल संचयन गड्डों का निर्माण किया गया है। नगर निगम को नियमित सफाई के निर्देश दिए गए हैं।
राकेश दौलताबाद ने नगर निगम के प्रयासों को नाकाफी बताते हुए कहा कि जलभराव की वजह जानकर उसके स्थाई समाधान की जरूरत है। गुरुग्राम में अरावली की पहाड़ियों से पानी बहकर आता है, जिसे गुरुग्राम में आने से रोकने का कोई मजबूत सिस्टम नहीं है। वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। पानी रेतीली मिट्टी में समा सकता है, लेकिन चिकनी व सामान्य मिट्टी पानी को नहीं सुखा सकती। नालों से कूड़ा निकालकर उसके स्थाई निस्तारण की जरूरत है। साथ ही नगर निगम को इस काम में फंड की कमी नहीं आने देनी चाहिये। प्रदेश सरकार ने इन सुझावों पर गौर करने का भरोसा दिलाया है।
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