हरियाणा: निकाय मंत्री की चिंता का समाधान, शेल्टर होम में डाले जाएंगे आवारा कुत्ते; सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान मिला। नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस छोड़ने की बाध्यता समाप्त हुई। अब शहर से बाहर कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनेंगे जहाँ 5000 कुत्तों को रखा जा सकेगा। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने की घटनाओं पर संज्ञान लिया। शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल पर आदेश लागू कराने की जिम्मेदारी है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल कुछ दिन पहले तक इस बात को लेकर चिंतित थे कि गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्तों के बंधीकरण (नसबंदी) के बाद उन्हें किसी आश्रय स्थल पर नहीं पहुंचाया जा सकता।
कोर्ट के किसी आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि लोगों को अपना शिकार बनाने वाले इन कुत्तों के बंधीकरण के बाद उसी स्थान पर वापस छोड़ने की मजबूरी है, जहां से उन्हे पकड़ा गया था। ऐसी व्यवस्था होने से शहरी निकाय विभाग के आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के सोमवार को जारी एक आदेश ने हरियाणा सरकार की इस समस्या का स्थायी समाधान कर दिया है। गलियों में घूमने वाले इन आवारा कुत्तों के बंधीकरण के बाद अब उन्हें उनके पुराने स्थान पर छोड़ने की मजबूरी नहीं होगी।
इन कुत्तों के लिए शहर से बाहर कहीं भी ऐसे आश्रय स्थल बनाए जा सकेंगे, जहां कम से कम पांच हजार कुत्तों को एक साथ रखने की व्यवस्था होगी। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किए हैं, लेकिन गलियों के कुत्तों द्वारा काटने की घटनाएं पूरे राज्य की बड़ी समस्या है।
हर रोज सैकड़ों बच्चे, बूढ़े, जवान और महिलाएं कुत्तों के काटने की घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। उन्हें रेबीज हो जाती है, जिस कारण इलाज नहीं मिलने की स्थिति में उनकी जान चली जाती है।
दिल्ली एनसीआर में हरियाणा के 14 जिले फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़-नारनौल, जींद और करनाल शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश आधे से ज्यादा हरियाणा के हित में आए हैं, लेकिन बाकी बचे आठ जिलों में भी गली के कुत्तों का आतंक कम नहीं है।
शहरी निकाय विभाग को हर जिले में इन कुत्तों पर अंकुश के लिए ऐसी कार्ययोजना लागू करनी होगी, जिसका प्रविधान सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्य के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है, जिसके बाद राज्य सरकार की जिम्मेदारी और चुनौती दोनों बढ़ गई हैं।
हरियाणा में कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां कुत्ते काटने की घटनाएं नहीं होतीं। कुत्ते के काटने के बाद रेबीज से बचाव के इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं, मगर अधिकतर सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। इस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराने को लेकर शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल की चुनौती बढ़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब राज्य सरकार को समस्या के स्थाई समाधान का प्लेटफार्म तैयार कर दे दिया है, जिस पर शहरी निकाय मंत्री और उनके विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ मेयरों व पार्षदों को काम करना होगा।
उन पर अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी है, ताकि राज्य की लाखों जनता को राहत मिल सके। लोग और बच्चे अपनी गलियों में बेखौफ घूम सकें। महिलाएं आराम से सैर कर सकें। बच्चे अपने मित्रों के साथ कुत्तों के डर के बिना गली और पार्कों में आराम से खेल सकें।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की अहम बातें
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने आवारा कुत्तों पर अपने आदेश को बिना किसी समझौते के तामील करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया का विरोध करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अदालत की अवमानना का केस चलेगा। कुत्तों के शेल्टर में नसबंदी और टीकाकरण के लिए पर्याप्त कर्मचारी होने चाहिए। कुत्तों के शेल्टर की सीसीटीवी से निगरानी होगी। सभी इलाकों से कुत्तों को उठाकर दूर-दराज के क्षेत्रों में ले जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय टिप्पणी करते हुए कहा कि ये सभी तथाकथित पशु प्रेमी, क्या उन बच्चों को वापस ला पाएंगे, जिन्होंने रेबीज की वजह से जान दे दी। कुत्ते काटने की घटना की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए एक सप्ताह में हेल्पलाइन बने।
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