हरियाणा निकाय चुनाव: ट्रिपल इंजन की सरकार के लिए BJP ने लगाया दम, CM ने मंत्रियों के साथ खुद संभाली प्रचार की कमान
हरियाणा में 33 निकायों के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है। भाजपा ने स्टार प्रचारकों के जरिए धुआंधार प्रचार से माहौल बनाया हुआ है जबकि कांग्रेस की सुस्त चाल पार्टी प्रत्याशियों पर भारी पड़ सकती है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद अपने मंत्रियों के साथ चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है जबकि सांसद-विधायक और संगठन पदाधिकारी भी चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़कर चल रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्र और हरियाणा में डबल इंजन की सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब ट्रिपल सरकार बनाने के लिए पूरा दम लगा दिया है। 33 निकायों की 'छोटी सरकार' में कमल खिलाने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने जहां स्टार प्रचारकों के जरिये धुआंधार प्रचार से माहौल बनाया हुआ है, वहीं कांग्रेस की सुस्त चाल पार्टी प्रत्याशियों पर भारी पड़ सकती है।
प्रदेश में आगामी रविवार को 32 निकायों के लिए मतदान होना है, जिसके लिए शुक्रवार शाम छह बजे प्रचार बंद हो जाएगा। इसके मद्देनजर भाजपा ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है।
निकाय चुनावों को नाक का सवाल बनाकर चल रही भाजपा की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद अपने मंत्रियों के साथ चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है, जबकि सांसद-विधायक और संगठन पदाधिकारी भी चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़कर चल रहे हैं।
इसी कड़ी में महाशिवरात्रि पर बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल संग बैठक कर मुख्यमंत्री नायब सैनी, प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली और प्रदेश संगठन मंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा ने चुनावी रण जीतने की रणनीति बनाई।
हुड्डा ने सोनीपत और रोहतक के आसपास ही प्रचार किया
इसके उलट चुनावों को लेकर कांग्रेस की चाल थोड़ी सुस्त है। विधानसभा चुनाव की तर्ज पर सांसद कुमारी सैलजा ने गिने-चुने इलाकों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी चुनाव प्रचार में कम ही नजर आ रहे हैं।
हुड्डा ने सोनीपत और रोहतक के आसपास ही प्रचार किया है। उन्हें जहां बुलाया जा रहा है, केवल वहीं जा रहे हैं। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को शामिल नहीं किए जाने से पार्टी में गुटबाजी और बढ़ी है। गुटबाजी में बंटे नेता दूसरे खेमे के प्रत्याशियों के प्रचार से परहेज कर रहे हैं।
ऊपर से संगठन की कमी कोढ़ में खाज का काम कर रही है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा विधानसभा चुनावों का प्रदर्शन दोहराने में कामयाब हो सकती है। कांग्रेस को जीत मिलती है तो यह उसके लिए संजीवनी से कम नहीं होगी।
भाजपा और कांग्रेस में है सीधी टक्कर
नगर निगमों और परिषदों के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। दोनों ही राजनीतिक पार्टियां चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ रही हैं। कुछ स्थानों पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), आम आदमी पार्टी (आप) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने भी पार्टी सिंबल पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।
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