हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक दल के नेता के लिए जबरदस्त जोड़तोड़, सैलजा-सुरजेवाला लगा रहे हुड्डा खेमे में सेंध
हरियाणा कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ है। हुड्डा गुट और विरोधी गुट अपने-अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने में लगे हैं। आलाकमान के सामने गुटबाजी खत्म करने की चुनौती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अहम पद देने या कुमारी सैलजा या सुरजेवाला को प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार हो रहा है। ओबीसी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा है।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता को लेकर जबरदस्त लाबीइंग चल रही है। इस लाबीइंग को खत्म करने के लिए कांग्रेस हाईकमान के पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं।
पहला, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विपक्ष का नेता बना दिया जाए और दूसरा, कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा अथवा रणदीप सुरजेवाला को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी जाए।
ऐसा करने की स्थिति में हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी पर पूरी तरह से अंकुश लग पाएगा, इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है। भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस में यदि महत्वपूर्ण पद नहीं मिलते तो दोनों गुटों की ओर से अपने-अपने समर्थकों के नाम हाईकमान के आगे बढ़ाए जा रहे हैं।
कांग्रेस में हुड्डा विरोधी खेमा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी विधायकों को तोड़ने की कोशिश भी कर रहा है। हुड्डा खेमे के विधायकों पर डोरे डालकर उन्हें विधायक दल का नेता बनाने का प्रलोभन दिया जा रहा है।
बादली के विधायक कुलदीप वत्स और बेरी के विधायक डा. रघुबीर कादियान की गिनती हुड्डा गुट के कट्टर समर्थकों में होती है, लेकिन विधायक दल के नेता के लिए इन दोनों नामों पर सैलजा व सुरजेवाला खेमा राजी दिखाई पड़ रहा है। हुड्डा विरोधी खेमा इस गुट को उसी के हथियार से काटने की कोशिश में है।
इसकी भनक हुड्डा गुट को लग चुकी है, नतीजतन विरोधी खेमे की इस रणनीति को कामयाब नहीं होने देने की पूरी योजना पर तेजी से काम चल रहा है।
हुड्डा खेमे का प्रयास है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो उकलाना के विधायक नरेश सेलवाल, झज्जर की विधायक गीता भुक्कल और थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा के नामों को आगे बढ़ाया जा सकता है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर सैलजा व रणदीप सुरजेवाला की निगाह है। हुड्डा खेमा चाहता है कि दीपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया जाए। विधायक दल के नेता का पद यदि हुड्डा खेमे को मिला तो प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हुड्डा खेमे की दावेदारी मजबूत नहीं रह जाएगी। ऐसे में सैलजा व सुरजेवाला खेमे का दांव प्रदेश अध्यक्ष के पद पर चलता नजर आ सकता है।
हरियाणा में भाजपा जिस तरह से ओबीसी की राजनीति कर रही है, उसे देखते हुए कांग्रेस की कोशिश किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की है, जबकि सामान्य, एससी और जाट वर्ग से तीन कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष देने पर भी विचार चल रहा है। कांग्रेस के ओबीसी नेताओं में महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह और राव नरेंद्र के नाम चर्चा में हैं।
हरियाणा कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान जितेंद्र भारद्वाज को भी हुड्डा अध्यक्ष बनाए जाने के हक में हैं। इसके पीछे उनकी सोच है कि पार्टी को चलाने के संसाधन और सभी को साथ लेकर चलने की राजनीतिक क्षमता राव दान सिंह और जितेंद्र भारद्वाज में हो सकती है।
ब्राह्मण, वैश्य, जाट और एससी नामों पर चर्चा
ब्राह्मण वर्ग में पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज और पार्टी के उपाध्यक्ष रहे चक्रवर्ती शर्मा, अनुसूचित जाति वर्ग से अंबाला के सांसद वरुण मुलाना और कालांवाली के विधायक शीशपाल केहरवाला के नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में हैं।
वैश्य समुदाय से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश गुप्ता और हिसार के जिलाध्यक्ष बजरंग दास गर्ग के नामों पर विचार किया जा रहा है। जाटों में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह का नाम चर्चा में बना हुआ है। इन नामों पर यदि प्रदेश अध्यक्ष के लिए सहमति नहीं होती तो उन्हें कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कांग्रेस पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में हुड्डा ही पावरफुल
हरियाणा में कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने जिलाध्यक्षों के नाम के लिए जो पैनल हाईकमान को भेजे थे, उसके साथ ही रिपोर्ट लगाई थी कि राज्य में अगर कांग्रेस पार्टी को फिर से मजबूती के साथ खड़ा करना है तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनदेखी नहीं की जा सकती।
यही वजह है कि कांग्रेस के जिलाध्यक्षों में अधिकतर हुड्डा समर्थक हैं, हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने सैलजा व सुरजेवाला समर्थकों को भी जिलाध्यक्ष बनाया है, लेकिन पार्टी मानकर चल रही है कि यदि विधायक दल के नेता पद पर हुड्डा की नियुक्ति होती है तो प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हुड्डा गुट ज्यादा फेंच फंसाने के हक में नहीं रहेगा।
यह अलग बात है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी हुड्डा अपनी पसंद के नेता की नियुक्ति के लिए हरसंभव कोशिश करेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।