हरियाणा में डॉक्टर बनना है तो हिंदी-संस्कृत का ज्ञान जरूरी
हरियाणा में डॉक्टर बनने के लिए दसवीं में हिंदी और संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य है। एेसा न होने से भर्ती प्रक्रिया से 60 डॉक्टर बाहर कर दिए गए हैं। ...और पढ़ें

चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। हरियाणा में डॉक्टर बनना है तो दसवीं में हिंदू या संस्कृत की पढ़ाई करनी ही होगी। स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर ऐसे 60 डॉक्टरों को मेडिकल ऑफिसरों की भर्ती प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया है जिन्हें हिंदी और संस्कृत का ज्ञान नहीं था। इन डॉक्टरों को एक सप्ताह में हाई पावर सेलेक्शन कमेटी के समक्ष सफाई देने को कहा गया है।
स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त करने के लिए प्रदेश में नवंबर से 662 मेडिकल ऑफिसरों की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है। कई बार आवेदन की तिथि बढ़ाने के बाद कट ऑफ सूची तैयार की गई जिसके बाद 17 अगस्त को 2566 आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। सेलेक्शन कमेटी ने कुल 78 डॉक्टरों के फार्म निरस्त कर दिए जिनमें से 60 को दसवीं कक्षा में हिंदी या संस्कृत की पढ़ाई के कारण बाहर किया गया। इनमें अधिकतर चिकित्सक हरियाणा से सटे पंजाब के विभिन्न जिलों के बताए जा रहे हैं। कुछ डॉक्टर प्रदेश के भी हैं जिन्होंने दूसरे राज्यों से दसवीं की पढ़ाई की।
प्रदेश के हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल और अंबाला जिलों की सीमाएं पंजाब से सटी हैं। साथ लगते जिलों के काफी युवाओं ने मेडिकल ऑफिसर पद के लिए आवेदन किया। चूंकि हरियाणा में डॉक्टरों के लिए दसवीं कक्षा में हिंदी या संस्कृत में से किसी एक विषय में पास होना जरूरी है, इसलिए साक्षात्कार से बुलाने से पहले ही इनके आवेदन निरस्त कर दिए गए। हालांकि औपचारिकता निभाते हुए सभी को एक सप्ताह में हाई पावर सेलेक्शन कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है।
13 डॉक्टरों ने अंतिम तिथि के बाद किया आवेदन
13 डॉक्टरों ने आवेदन की अंतिम तिथि 17 जुलाई के बाद फार्म जमा कराया जिस कारण इन्हें निरस्त कर दिया गया। इसके अलावा दो आवेदकों की उम्र अधिक होने के कारण भर्ती प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा जबकि एक डॉक्टर का आवेदन खामियों के कारण रद करना पड़ा। दो आवेदक इस पद के लिए शर्तें पूरी नहीं करते थे।

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