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    हरियाणा में डॉक्टरों की भारी कमी, अब सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट डॉक्टर भी करेंगे मरीज का उपचार

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 04:12 PM (IST)

    हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जनों को निजी विशेषज्ञों को बुलाने के निर्देश दिए हैं जिन्हें प्रति केस भुगतान किया जाएगा। भिवानी में आवेदन आमंत्रित किए गए हैं और एमआरआई के लिए निजी केंद्रों से संपर्क किया जा रहा है।

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    सरकारी अस्पतालाें में अब निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सक भी करेंगे मरीजों का उपचार। प्रतीकात्मक तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सरकारी अस्पतालों में अब विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) माडल के जरिये पूरी की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सिविल सर्जनों को निर्देश दिए हैं कि वे सिजेरियन और रेडियोलाजी जैसे केसों के लिए निजी विशेषज्ञों को अस्पतालों में बुला सकते हैं। उन्हें प्रति केस के हिसाब से मेहनताना दिया जाएगा।

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    स्वास्थ्य मंत्री आरती राव से निर्देश मिलने के बाद सिविल सर्जनों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल विशेषज्ञ, एनेस्थेटिक्स और रेडियोग्राफर की काफी कमी है। इन डॉक्टरों के नहीं होने से सिविल अस्पताल के साथ मरीजों को भी काफी दिक्कत आती है।

    दरअसल, हरियाणा सरकार की ओर से इन डॉक्टरों को निजी क्षेत्र के मुकाबले काफी कम सैलरी मिलती है। इस वजह से ये विशेषज्ञ डॉक्टर टिकते नहीं। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ने पीपीपी मॉडल के तहत डॉक्टरों को बुलाने का फैसला किया है।

    हाल ही में भिवानी की जिला स्वास्थ्य व परिवार कल्याण समिति ने इस प्रयोग के तहत आवेदन भी आमंत्रित किए हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ को 5600 रुपये प्रति केस, बाल रोग विशेषज्ञ को चार हजार रुपये और एनेस्थेटिक्स को 4800 रुपये प्रति केस दिए जाएंगे।

    एमआरआई के लिए निजी केंद्रों से संपर्क किया जा रहा है। शुरुआत के लिए पांच जिलों को चुना गया है, जिनमें एमआरआइ की सुविधा नहीं है। इनमें हिसार, जींद, मेवात, सोनीपत और कैथल शामिल है।

    स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए कुछ क्षेत्रों के लिए निजी डॉक्टरों का सहारा ले रहे हैं। इस बारे में सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रति केस के हिसाब से शुल्क दे सकते हैं।

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