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    हरियाणा में 37,262 गरीब वृद्ध, जिनकी उम्र 80 साल से ऊपर, सरकार बनेगी सहारा

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 05:03 PM (IST)

    हरियाणा सरकार राज्य के गरीब वृद्धों का सहारा बनेगी। 80 वर्ष से अधिक उम्र के अकेले रहने वाले 37 हजार से अधिक वृद्धों की पहचान की गई है। सरकार उनके घर जाकर उनका हालचाल जानेगी और उनकी जरूरतों को पूरा करेगी। उन्हें इलाज और आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने की भी व्यवस्था की जा सकती है।

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    गरीब लोगों के पास पहुंचकर सरकार वेरीफिकेशन भी करेगी।

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा की नायब सरकार राज्य में रह रहे अति वृद्ध गरीब लोगों का सहारा बनेगी। प्रदेश सरकार ने ऐसे सभी गरीब लोगों के घर जाकर उनका हालचाल जानने का निर्णय लिया है, जिनकी उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है और वह अपने परिवार में अकेले हैं।

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    राज्य में 37 हजार 262 लोग ऐसे चिह्नित किए गए हैं, जिनकी उम्र 80 साल अथवा इससे अधिक है। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में दर्ज जानकारी के आधार पर यह सभी अति वृद्ध लोग न केवल गरीबी का जीवनयापन कर रहे हैं, बल्कि उनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये कम है। कुछ वृद्ध ऐसे भी हैं, जिनकी आय 50 हजार रुपये से भी कम है।

    इन उम्रदराज बूढ़े लोगों के घरों में परिवार का कोई दूसरा सदस्य मौजूद नहीं है। राज्य में 80 साल से अधिक उम्र के एकल वृद्धों की संख्या अधिक हो सकती है, लेकिन प्रदेश सरकार ने फिलहाल ऐसे वृद्धों तक पहुंचने का निर्णय लिया है, जो बहुत ज्यादा गरीब हैं।

    प्रदेश सरकार अपने प्रतिनिधि इन सभी गरीब वृद्ध लोगों के घर भेजेगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे अपनी जिंदगी कैसे जी रहे हैं। अगर उन्हें इलाज की जरूरत है तो सरकार की ओर से उन्हें इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। यदि खाने-पाने के सामान में कोई परेशानी है तो उसकी व्यवस्था की जाएगी।

    हरियाणा सरकार की योजना के मुताबिक ऐसे गरीब वृद्धों को विभिन्न आश्रय स्थलों में भी शिफ्ट किया जा सकता है, ताकि उन्हें इलाज, खाने-पीने, कपड़े और जीवन के बाकी जरूरी कार्यों के लिए परेशान न होना पड़े। इन गरीब लोगों के पास पहुंचकर सरकार यह वैरीफिकेशन भी करेगी, कहीं परिवार के सदस्यों ने इन वृद्धों को जान बूझकर तो नहीं अकेले छोड़ा हुआ है।

    ऐसा शक भी दूर किया जाएगा कि परिवार के सदस्यों ने दो फैमिली आइडी बनवाने के चक्कर में अपने वृद्ध माता-पिता अथवा दादा-दादी को अलग तो नहीं कर दिया, भले ही उनकी फैमिली आइडी अलग है, लेकिन रह वे इकट्ठा रहे हैं।

    परिवार पहचान प्राधिकरण के स्टेट कार्डिनेटर डा. सतीश खोला के अनुसार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को जब इन गरीब वृद्ध लोगों के बारे में पता चला तो उन्होंने उनकी पारिवारिक व जीवन की जरूरी व्यवस्थाओं का पता लगाने को कहा।

    सरकार के प्रतिनिधि लोगों के पास जाकर पूछेंगे कि जीवनयापन के बारे में

    अब सरकार के प्रतिनिधि इन सभी लोगों के पास जाकर उनसे पूछेंगे कि जीवनयापन के लिए सरकार की ओर से उन्हें किस तरह के सहयोग की जरूरत है। अगर आवश्यक हुआ और बुजुर्गों ने इच्छा जताई कि उन्हें आश्रय स्थलों में भी स्थानांतरित किया जा सकता है, क्योंकि फैमिली आइडी में दर्ज जानकारी के आधार पर सरकार के पास यह सूचना है कि इन बुजुर्गों का आगे-पीछे करने वाला कोई नहीं है।

    करनाल में सबसे अधिक और पंचकूला में सबसे कम गरीब बुजुर्ग

    हरियाणा के 22 जिलों में सबसे अधिक उम्रदराज गरीब वृद्ध करनाल में 3503 हैं, जिनकी उम्र 80 साल या इससे ऊपर है और उनके परिवार में कोई दूसरा सदस्य नहीं है। दूसरा नंबर अंबाला जिले का है, जहां 3112 उम्रदराज बुजुर्ग हैं।

    तीसरे नंबर पर सिरसा जिला आता है, जहां 2743 और चौथे नंबर पर यमुनानगर जिला आता है, जहां पर 2478 बुजुर्ग एकल जीवन जीने को मजबूर हैं। पांचवें नंबर पर फतेहाबाद जिले में 2244 और छठे नंबर पर कुरुक्षेत्र जिले में 2238 बुजुर्ग एकल जीवन जी रहे हैं। पंचकूला जिले में सबसे कम 334 और उसके बाद नूंह जिले में 572 गरीब बुजुर्ग अकेले जीवनयापन कर रहे हैं।

    बुढ़ापे के तीन तरह के दुख, अवसाद बड़ी समस्या

    बुढ़ापे के दुख या वृद्धावस्था में होने वाली परेशानियां शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से कई तरह की हो सकती हैं। शारीरिक रूप से जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में अकड़न, पीठ दर्द, हड्डियों में दर्द और तंत्रिका संबंधी समस्याएं आम हैं।

    मानसिक रूप से अवसाद, चिंता और याददाश्त कमजोर होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सामाजिक रूप से अकेलापन, अलगाव और आर्थिक असुरक्षा का सामना बुजुर्गों को करना पड़ सकता है। इन सभी की चिंता करते हुए हरियाणा सरकार के बुजुर्गों की सुध लेने के प्रयास को मानवता की सेवा के रूप में लिया जा सकता है।

    किसी का स्थान परिवर्तन सरकार का इरादा नहीं

    परिवार पहचान प्राधिकरण के स्टेट कार्डिनेटर डा. सतीश खोला का कहना है कि राज्य सरकार का उद्देश्य किसी को स्थान परिवर्तन के लिए बाध्य करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन बुजुर्गों को दी जाने वाली प्रस्तावित सुविधाएं ऐसे लोगों के लिए एक स्वैच्छिक, सूचित और सम्मानजनक विकल्प बनी रहें, जिन्हें सामाजिक सुरक्षा, चिकित्सकीय सहायता या अन्य लोगों के साथ की आवश्यकता है।