हरियाणा में युवती से गैंगरेप और हत्या के आरोपियों को हाईकोर्ट ने किया बरी, निचली अदालत ने सुनाई थी मृत्यु दंड की सजा
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोनीपत में 2017 के एक युवती के अपहरण सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दो लोगों को दोषमुक्त कर दिया है। अदालत ने सबूतों की कमी के कारण यह फैसला सुनाया जिससे अपराध साबित नहीं हो सका। निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। अदालत ने फॉरेंसिक सबूतों को संभालने के तरीके पर भी सवाल उठाए।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सोनीपत की 19 वर्षीय युवती के अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़े 2017 के मामले में दो लोगों को दोषमुक्त कर दिया। हाईकोर्ट ने उचित संदेह से परे अपराध साबित करने के लिए अपर्याप्त सबूतों का हवाला दिया। जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की खंडपीठ ने 19 दिसंबर 2022 को सोनीपत की एक निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मृत्यु दंड की सजा और दोषसिद्धि को रद कर दिया।
यह मामला 11 मई, 2017 को दर्ज एक प्राथमिकी से शुरू हुआ, जो गुप्त रूप से और गलत तरीके से बंधक बनाने के इरादे से अपहरण से संबंधित है। उसी दिन रोहतक के पार्श्वनाथ शहर में युवती का शव मिला था। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी मामले में कई अन्य आरोप, जैसे कि धारा 302 (हत्या) और धारा 376-ए (डी)/34 (साझा इरादे से सामूहिक दुष्कर्म) जोड़े गए।
जस्टिस बेदी की ओर से लिखे गए 59 पेज के फैसले में कहा गया कि आरोपित द्वारा अपराध किए जाने के बारे में कुछ संदेह है। हालांकि, रिकॉर्ड पर उपलब्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की श्रृंखला इतनी पूरी नहीं है कि वे निर्णायक और अचूक रूप से आरोपित के अपराध की ओर इशारा कर सकें। अदालत ने कहा कि अपराध क्रूर था, लेकिन अभियोजन पक्ष दोषसिद्धि के लिए आवश्यक कानूनी सीमा को पूरा करने में विफल रहा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता को उसके पड़ोसी ने परेशान किया था और नौ मई, 2017 को बंदूक के बल पर उसका अपहरण कर लिया गया था। आरोप है कि उसे नशीला पदार्थ दिया गया। उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर ईंटों से उसकी हत्या कर दी गई।
पोस्टमार्टम में सिर पर चोट लगने से मौत की पुष्टि हुई, चोटों से यौन उत्पीड़न की संभावना जताई गई। अभियोजन पक्ष ने खून से सनी ईंटों और कपड़ों की बरामदगी, आरोपित और पीड़िता के बीच लगातार संपर्क दिखाने वाले कॉल डिटेल रिकॉर्ड और प्रकटीकरण बयानों पर भरोसा किया, लेकिन अदालत को कई खामियां मिलीं।
अदालत ने फॉरेंसिक नमूनों को संभालने के तरीके पर भी सवाल उठाए। अपील स्वीकार करते हुए पीठ ने फैसला सुनाया कि हमें वर्तमान अपील में काफी योग्यता नजर आती है। विवादित फैसले को रद किया जाता है और अपीलकर्ताओं को उनके खिलाफ लगाए आरोपों से बरी किया जाता है।
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