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    'चंडीगढ़ पर हरियाणा का बराबरी का हक मांगे सरकार', दुष्यंत चौटाला ने CM सैनी को दी सलाह

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 09:05 PM (IST)

    हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चंडीगढ़ पर केंद्र के नियंत्रण को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को इसका विरोध करना चाहिए और चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी 50-50 करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर आवाज उठाने की अपील की है।

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    पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दी हरियाणा सरकार को सलाह। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने राजधानी चंडीगढ़ का नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथों में लिए जाने की सूचनाओं पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ पर केंद्र का प्रशासनिक दखल बढ़ाना हमारे हित में नहीं है और हरियाणा की भाजपा सरकार को इसका विरोध करते हुए ऐसी आशंकाओं पर रोक लगवानी चाहिए।

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    उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि चंडीगढ़ में हरियाणा की हिस्सेदारी 60-40 के अनुपात की बजाय 50-50 करवाई जाए और इसके लिए हरियाणा की भाजपा सरकार केंद्र में अपनी पार्टी की सरकार पर दबाव बनाए।

    दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा के सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को चंडीगढ़ का नियंत्रण केंद्र द्वारा अपने हाथों में लेने की कोशिश के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रशासित क्षेत्र होने के चलते चंडीगढ़ पर पहले से ही केंद्र सरकार के अधिकारियों की पर्याप्त हिस्सेदारी है और इसे बढ़ाना हरियाणा और पंजाब के अपनी राजधानी पर अधिकार को कम करने वाला कदम होगा।

    दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बिना दोनों राज्यों से व्यापक चर्चा और सहमति के कोई भी कदम उठाना धक्केशाही माना जाएगा और दोनों राज्यों के लोग इसका विरोध करेंगे। दुष्यंत ने हैरानी जताई कि हरियाणा की भाजपा सरकार इस विषय पर अब तक चुप क्यों है और केंद्र के भारी दबाव में क्यों दिख रही है।

    हरियाणा के गठन के समय चंडीगढ़ के संसाधनों और संस्थाओं में पंजाब को 60 और हरियाणा को 40 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि 1966 में भले ही यह फैसला मंजूर कर लिया गया हो लेकिन आज हरियाणा विकास और देश के जीडीपी व आमदनी में योगदान देने में पंजाब से कहीं आगे निकल गया है। अब हरियाणा को यह भेदभाव खत्म करवाना चाहिए और चंडीगढ़ में हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत की करवानी चाहिए।