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    पंचकूला में आवारा कुत्तों का खौफ होगा कम, नगर निगम की टीम पकड़कर डाग पौंड में छोड़ेगी

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 12:04 PM (IST)

    पंचकूला में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम ने डॉग पोंड सेंटर में कुत्तों को रखने की तैयारी शुरू कर दी है। मेयर कुलभूषण गोयल ने सेंटर का निरीक्षण किया और सुविधाओं का जायजा लिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने और कुत्तों की देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। कुत्तों को पकड़ने के लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा।

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    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम पंचकूला तैयार, कुत्तों को डाग पौंड में रखेगा।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। शहर में बढ़ती आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम ने डाग पोंड सेंटर में आवारा कुत्तों को पकड़कर रखने की तैयारी शुरु कर दी है। यहां 2,500 कुत्तों को रखने की क्षमता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और कानूनी प्रविधानों के तहत कुत्तों को पकड़कर 8 सप्ताह तक रखने, उनकी देखभाल, भोजन-पानी की व्यवस्था और स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उन्हें छोड़ने का प्रविधान है।

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    मेयर कुलभूषण गोयल ने सुखदर्शनपुर गांव स्थित कुत्तों की नसबंदी एवं देखभाल केंद्र का आज निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर महापौर कुलभूषण गोयल के साथ आयुक्त आरके सिंह, डीएमसी अपूर्व चौधरी, कुत्ता समिति के अध्यक्ष, पार्षद सुनीत सिंगला, ठेकेदार, उपस्थित चिकित्सक एवं केंद्र के कर्मचारी मौजूद रहे।

    निरीक्षण के दौरान केंद्र में मौजूद सुविधाओं, स्वच्छता, कुत्तों के रहने की व्यवस्था, भोजन-पानी की आपूर्ति और चिकित्सा सेवाओं की विस्तार से जांच की गई। अधिकारियों ने नसबंदी (स्टरलाइजेशन) प्रक्रिया, ऑपरेशन थिएटर की स्थिति और पशुओं की देखभाल के लिए उपलब्ध संसाधनों का जायजा लिया।

    महापौर ने निर्देश दिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन किया जाए और केंद्र में 8 सप्ताह तक कुत्तों के ठहरने, देखभाल व उपचार की उचित व्यवस्था सुनिश्चित हो। आयुक्त ने कहा कि समय-समय पर एनीमल हसबेंडरी विभाग द्वारा निरीक्षण किया जाएगा, ताकि सभी कानूनी प्रावधानों के तहत कार्य हो सके।

    निरीक्षण के दौरान वर्तमान में सेंटर में लगभग 25 कुत्ते थे, जिनका स्टरलाइजेशन (नसबंदी) और ऑपरेशन की प्रक्रिया चल रही है। इस दौरान उन्हें आवश्यक दवा और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। नगर निगम जल्द ही इसके लिए टेंडर जारी करेगा, जिसमें कुत्तों को पकड़ने, उनकी देखभाल और भोजन की व्यवस्था के प्रविधान शामिल होंगे।

    कानूनी अड़चनों से डॉग केयर एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर भी काम नहीं आया

    पंचकूला नगर निगम ने लगभग 5 वर्ष पूर्व करीब चार करोड़ रुपये खर्च कर सुखदर्शनपुर गांव में डॉग केयर एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण कराया था। इसका नींव पत्थर रखते हुए दावे किया था कि सेंटर में स्ट्रे डॉग्स को रखा जाएगा, इससे पंचकूला को स्ट्रे डॉग्स फ्री बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन कानूनों के आड़े आने के चलते नगर निगम कुत्तों को पकड़कर यहां नहीं रख पाया।

    बाद निर्णय लिया गया था कि सेंटर में सिर्फ डॉग्स की स्टरलाइजेशन, बीमार और घायल होने पर कुत्तों का इलाज किया जाएगा। इसके बाद इन्हें वापस वहीं छोड़ा जाएगा जहां से उठाया था। जिस कारण पंचकूला स्ट्रे डॉग्स फ्री नहीं हो पाया। शहर वासियों को केवल इतनी राहत मिली कि अगर कोई स्ट्रे डॉग्स काटता है या आक्रामक होता है तो निगम की टीम इन कुत्तों को उठाकर नवनिर्मित सेंटर में रखेगी।

    सेंटर निर्माण के बाद एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने सुनिश्चित करना था कि सेंटर में कानून के दायरे में काम हो। डॉग लवर्स और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के दबाव के चलते नगर निगम, पंचकूला ने आवारा कुत्तों की आबादी के प्रबंधन पर निगरानी और कार्यान्वयन समिति का गठन किया था।

    एक पहलु यह भी, निगम को मिली थी चेतावनी

    पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी नगर निगम के अफसरों को लेटर लिखकर जवाब मांगा था। निगम अफसरों को पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960, एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स-2001, सुप्रीम कोर्ट और पशु कल्याण बोर्ड के दिशानिर्देश के तहत स्ट्रे डॉग्स को पकड़ कर किसी एक जगह रखने को पशुओं पर अत्याचार बताते हुए ऐसा न करने की चेतावनी दी थी।