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    किरायेदार तय नहीं कर सकता कि मालिक को अपने मकान की जरूरत है या नहीं, हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Mon, 03 Jan 2022 11:10 AM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपनी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि किरायेदार तय नहीं कर सकता कि मकान मालिक को मकान की जरूरत है या नहीं। किरायेदार की याचिका खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने दस हजार रुपये के पेड़ लगाने का भी आदेश दिया।

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    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, चंड़ीगढ़। घर पर कब्जा कर बैठा एक किरायेदार जो मालिक की बार-बार गुहार लगाने के बाद भी मकान खाली करने को तैयार नहीं था, उसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर घर खाली करने के साथ ही दस हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए इतनी कीमत के बराबर के घर के करीब ही पेड़ लगाने के आदेश दे दिए हैं।

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    जस्टिस अरुण मोंगा ने किरायेदार को जुर्माने की राशि से घर के करीब ही जिला बागबानी विभाग, हिसार के अधिकारी की निगरानी में नीम, आमला, गुलमोहर और अल्सटोनिया आदि के पेड़ लगाने के आदेश दिए हैं और पौधों की खरीद के बिल विभाग के समक्ष जमा करवाने के भी आदेश दिए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किरायेदार ने हाई कोर्ट के इन आदेशों का सही तरीके से पालन किया है।

    इसके साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश के बावजूद अगर किरायेदार घर खाली नहीं करता है तो उसके खिलाफ अदालत के आदेशों की अवमानना की कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि यह किरायेदार तय नहीं कर सकता है कि मालिक को अपने मकान की जरूरत है या नहीं।इस मामले में किरायेदार को घर खाली करने के न सिर्फ रेंट कंट्रोलर, हिसार बल्कि बाद में अपीलेट अथॉरिटी ने भी आदेश दिए थे। इन्हीं आदेशों को किरायेदार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी, जिसे अब हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए यह आदेश दे दिए हैं।

    बता दें, याचिकाकर्ता ने यह घर 2004 में किराये पर लिया था। कई वर्षों बाद जब मकान मालिक ने किरायेदार को घर खाली करने को कहा तो किरायेदार ने घर खाली करने से इन्कार कर दिया। रेंट कंट्रोलर ने मार्च 2017 में तो अपीलेट अथॉरिटी ने भी अक्टूबर 2018 में मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए किरायेदार को घर खाली करने के आदेश दिए थे, इन्हीं आदेशों को किरायेदार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है।