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    खड़ा पत्थर मंदिर भगवान शिव की तीन सिद्धपीठों में से एक

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:16 AM (IST)

    विश्व में भगवान शिवजी के मात्र तीन ऐसे मंदिर हैं जिन्हें सिद्धपीठ का दर्जा हासिल है। ...और पढ़ें

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    खड़ा पत्थर मंदिर भगवान शिव की तीन सिद्धपीठों में से एक

    सौरव बत्रा, पिजौर

    विश्व में भगवान शिवजी के मात्र तीन ऐसे मंदिर हैं जिन्हें सिद्धपीठ का दर्जा हासिल है। इनमें एक पीठ केदारनाथ, दूसरी पशुपतिनाथ काठमंाडू (नेपाल) में और तीसरा पिजौर से तीन किलोमीटर दूर नालागढ़ रोड पर स्थित गांव धमाला के पास खड़ा पत्थर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में शिवलिग के स्थान पर एक पत्थर स्थापित है। बुजुर्गों का कहना है कि एक वर्ष के अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। इस सिद्धपीठ के विषय में स्थानीय लोगों को 85 वर्ष पूर्व ही पता चला था। प्राचीन कि वदंतियों के अनुसार जिस स्थान पर इस पत्थर रूपी शिवलिग भूमि में दबा था उसके चारों ओर बेल के वृक्ष थे, इनकी शाखाएं इस शिवलिग पर झूलती थी। इस क्षेत्र में पानी का स्तर भूमि से 150 फीट नीचे है फिर भी ऐसा कहा जाता है कि बेल के पत्तों से शिवलिग पर पानी की बूंदें टपकती रहती थी।

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    किसान ने करवाया था मंदिर का निर्माण

    यह भूमि गांव धमाला के एक किसान की थी। वह जब भी खेत में हल चलाता था तो हल इस पत्थर से टकराकर टूट जाता था। उसने खुदाई कर पत्थर को निकालने की योजना बनाई। वह पत्थर के आसपास जितनी खुदाई करता वह हिस्सा अगले दिन भर जाता था। इतना ही नहीं, खुदाई के समय सांप व बिच्छू निकलते थे। फिर एक दिन खुदाई करते समय हथौड़ा पत्थर को लगा तो पत्थर से खून की धार निकली और अगले दिन दूध की धारा। इससे किसान घबरा गया फिर रात के समय किसान को भगवान शिव ने कहा कि मैं पशुपति नाथ हूं। हमारा तो जन्म-जन्म का साथ है मेरा यहां मंदिर बनवाओ। इसके बाद किसान ने भगवान पशुपति नाथ का मंदिर बनवाया।

    पांडवों ने किया पिजौर में धारामंडल का निर्माण

    मंदिर कमेटी के सचिव पाल सिंह और अन्य लोगों ने बताया कि इस मंदिर का संबंध सतयुग से भगवान शिव से वरदान और भस्मकंड प्राप्त करके जब भस्मासुर महादैत्य ने भोलेनाथ को ही भस्म करने की चेष्टा की तो शिव भस्मासुर से बचते हुए नेपाल जा निकले। वहां आज भी पशुपति नाथ की सिद्धपीठ स्थापित है। उन्होंने अन्य कि वदंती के अनुसार बताया कि जब पांडव अज्ञातवास में इस क्षेत्र में घूम रहे थे उस समय उन्होंने पिजौर में धारामंडल का निर्माण किया था। मंदिर में होगा 2 दिन भव्य समारोह

    मंदिर कमेटी के प्रधान सुरेंद्र पाल, उपप्रधान तजिंद्र सिंह, खजांची नानक सिंह ने बताया कि शुक्रवार को शिवरात्रि के उपलक्ष्य में मंदिर में भक्तों के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। इस दौरान दूध और व्रत वाली खीर समेत केले व बेर का प्रसाद वितरित किया जाएगा। वहीं, शनिवार को अटूट लंगर का आयोजन किया जाएगा।