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मुलायम परिवार जैसी है इनेलो की कलह, यहां भी चाचा-भतीजा की वैसी ही भिड़ंत

हरियाणा के चौटाला परिवार की कलह काफी हद तक मुलायम परिवार के विवाद जैसी है। वहां चाचा शिवपाल व भतीजे अखिलेश यादव की तरह ही अभय अौर दुष्‍यंत चौटाला का विवाद दिख रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 12:15 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 09:20 AM (IST)
मुलायम परिवार जैसी है इनेलो की कलह, यहां भी चाचा-भतीजा की वैसी ही भिड़ंत

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में छिड़ी वर्चस्व की जंग काफी हद तक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में चल रही लड़ाई की तरह है। दोनों पार्टियों में चाचा और भतीजों के बीच बनी महाभारत जैसी स्थिति में दूसरे पिस रहे हैं। इनेलो में चाचा अभय चौटाला और भतीजा दुष्‍यंत चौटाला के बीच विवाद उत्‍तर प्रदेश के मुलायम परिवार में हुए शिवपाल यादव और अखिलेश यादव से काफी हद तक मिलता-जुलता है। पूरे प्रकरण में परिवार को दाेबारा एकजुट करने में इनेलो सुप्रीमो आेमप्रकाश चौटाला की भूमिका आगे अहम हो सकती है।

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पार्टी पर वर्चस्व को लेकर अभय और दुष्यंत-दिग्विजय की लड़ाई अखिलेश और शिवपाल जैसी

वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच शुरू विवाद राष्ट्रीय सुर्खियां बना। आज भी सपा इससे बाहर नहीं निकल सकी है। वर्चस्व की उसी जंग का दूसरा रूप इन दिनों हरियाणा में देखा जा रहा है। सिर्फ राजनीतिक दल, समय और इस पूरी जंग के चरित्रों के चेहरे बदले हैं।

दुष्‍यंत और अभय चौटाला।

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शिवपाल और अखिलेश की तनातनी में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पहले अपने भाई के साथ खड़े हुए, फिर बेटे के साथ। वहां इस परिवार के बीच झगड़े का मास्टर माइंड अमर सिंह को माना गया। हरियाणा में अभी इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला अपने छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला यानी चाचा के साथ खड़े हैं। इनेलो में भी झगड़े का मास्टरमाइंड अब कुछ लोगों के सामने आ गया है। आर्थिक रूप से संपन्नता में भी यह मास्टर माइंड अमर सिंह जैसी बड़ी हैसियत रखता है।

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यदि इनेलो में वर्चस्व की इस लड़ाई को डॉ. अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के बीच देखें तो यह पूरा प्रकरण बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्रों तेजप्रताप सिंह और तेजस्वी के बीच सत्ता संघर्ष से भी मेल खाता है।

एक समय अोमप्रकाश चौटाला ने पौत्र दुष्‍यंत चौटाला को ऐसे दिया था अाशीर्वाद। (फाइल फोटो)

दूसरे दल देख रहे फायदे

इनेलो की कलह में भाजपा व कांग्रेस को अपने-अपने फायदे दिख रहे हैं। कांग्रेस के नेता तो कह रहे हैं कि इनेलो का यूपी में सपा की तरह बिखर जाने से सीधे रूप में कांग्रेस को फायदा होगा। वहीं, भाजपा नेता मान रहे हैं कि इनेलो का समझदार कार्यकर्ता कभी कांग्रेस को अपना समर्थन नहीं देगा। वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा का सहयोग करेगा।

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वर्चस्व बनाए रखने को दुष्यंत-दिग्विजय के समक्ष हैं तीन विकल्प

दूसरी ओर, दादा ओमप्रकाश चौटाला के सख्त रवैये के बाद सांसद दुष्यंत चौटाला व उनके अनुज दिग्विजय सिंह चौटाला के राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने की रणनीति पर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि इसके लिए तीन ही विकल्प बचे हैं। माना जा रहा है कि 18 अक्टूबर को जब ओमप्रकाश चौटाला जेल चले जाएंगे तो इन तीनों विकल्पों में किसी एक पर दुष्यंत-दिग्विजय की जोड़ी काम करना शुरू कर देगी। पूरे विवाद के मास्टरमाइंड माना जा रहा गुरुग्राम का व्यक्ति प्रमुख रणनीतिकार की भूमिका में है। यह व्यक्ति इनेलो के सत्ता में रहते हुए अजय सिंह चौटाला का सबसे नजदीकी मित्र रहा है।

दुष्‍यंत और दिग्विजय चौटाला अपने पिता अजय सिंह चौटाला व मां नैना चौटाला के साथ। (फाइल फोटो)

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यह है रणनीति

सबसे पहले दोनों भाई अपने समर्थकों को 18 अक्टूबर तक हर हाल में शांत करते नजर आएंगे। कोशिश करेंगे कि तय समय से पहले पिता अजय चौटाला जेल से बाहर लाया जाए। इसके बाद अजय चौटाला की तरफ से पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलवाई जाएगी।

बैठक में दुष्यंत-दिग्विजय समर्थक पार्टी संगठन पर काबिज होने का प्रयास करेंगे। पहली रणनीति कामयाब नहीं हुई तो फिर जननायक सेवा दल के बैनर तले पूरे प्रदेश में नया संगठन खड़ा कर दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो दुष्यंत-दिग्विजय अपने पिता के साथ चुनाव आयोग में भी अपना दावा प्रस्तुत करेंगे।

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इनेलो पर वर्चस्व को लेकर आक्रामक हुआ अभय खेमा

इस सब के बीच इनेलो में वर्चस्व की लड़ाई थमने के आसार नहीं दिख रहे। दुष्यंत और दिग्विजय पर कार्रवाई के बाद बदली स्थितियों से निपटने के लिए अभय चौटाला खेमा आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है। सूत्रों की मानें तो अभय सिंह ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला के खिलाफ पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के निर्णय पर मुहर लगाने का काम करें।

उनसे कहा गया है कि पदाधिकारियों के साथ मीडिया को स्पष्ट तौर पर बताएं कि वे पार्टी सुप्रीमो के निर्णय के साथ हैं। माना जा रहा है कि पिता और बड़े भाई के जेल जाने के बाद जिस तरह अभय ने पार्टी को संभाला है, उसमें यह कार्य मुश्किल नहीं है। इस निर्देश के बाद करीब आधा दर्जन जिलाध्यक्षों ने अपने जिलों में अभय के पक्ष में समर्थन भी दे दिया है।

अभय ने 18 जनपथ के संपर्क वाले पदाधिकारियों की मांगी सूची

जानकार बताते हैं कि अभय चौटाला अब दुष्यंत-दिग्विजय के साथ-साथ उनके कट्टर समर्थकों को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने सभी जिलाध्यक्षों से ऐसे पदाधिकारियों की सूची मांग ली है जो पार्टी सुप्रीमो के निर्णय के बाद भी नई दिल्ली में 18 जनपथ पर दुष्यंत व दिग्विजय के संपर्क में हैं।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अभय चौटाला दुष्यंत-दिग्विजय के लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद ही प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाएंगे और उस बैठक में पार्टी सुप्रीमो के निर्णय पर अधिकृत रूप से मुहर लगवा देंगे। अभय गुट को पता है कि अजय सिंह चौटाला के जेल से बाहर आने वाले दिन दुष्यंत-दिग्विजय समर्थकों का कोई बड़ा जमघट हो सकता है। उसको ध्यान में रखकर भी रणनीति बनाई जा रही है।

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