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    हरियाणा: 6 बार विधायक रहे संपत सिंह ने छोड़ी कांग्रेस, खरगे को लिखा पत्र; कद्दावर नेताओं के पार्टी छोड़ने के बताए कारण

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 07:44 PM (IST)

    संपत सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए कई वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्व. भजनलाल, राव इंद्रजीत, और कुलदीप बिश्नोई जैसे नेताओं का जिक्र किया, जो अब भाजपा में हैं। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में हार और कुमारी सैलजा को अध्यक्ष पद से हटाने जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाए। 

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    6 बार विधायक रहे संपत सिंह ने छोड़ी कांग्रेस। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता, मंत्री और छह बार विधायक रह चुके प्रो. संपत सिंह ने रविवार को कांग्रेस को दूसरी बार अलविदा कह दिया। हरियाणा कांग्रेस के नव नियुक्त अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के करीब सवा माह के कार्यकाल में प्रो. संपत सिंह पहले नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी है।

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    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने त्यागपत्र में संपत सिंह ने जहां पार्टी की कमजोरियां गिनवाई, वहीं विभिन्न कारणों से अब तक कांग्रेस छोड़ चुके कद्दावर नेताओं की सिलसिलेवार जानकारी दी।

    संपत सिंह ने कहा कि उन्हें अब विश्वास नहीं रहा कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा की जनता का मजबूत प्रतिनिधित्व प्रदेश की राजनीति में कर सकती है। पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के साथियों में शामिल रहे प्रो. संपत सिंह आठ अगस्त 2022 को दूसरी बार कांग्रेस में शामिल हुए थे।

    साल 2019 में वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गये थे, लेकिन वहां उनका ज्यादा दिन दिल नहीं लगा। साल 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रो. संपत सिंह का हिसार जिले की नलवा विधानसभा सीट से टिकट काट दिया था और अनिल मान को चुनाव लड़वा दिया था, लेकिन वहां भाजपा नेता रणधीर पनिहार की जीत हुई।

    संपत सिंह ने चुनाव में बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था, लेकिन तब उन्हें नाम वापस लेने के लिए मना लिया गया था। पिछले दिनों प्रो. संपत सिंह ने इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला के अनुरोध पर रोहतक में ताऊ देवीलाल के राज्य स्तरीय जयंती समारोह का मंच साझा किया था। तभी से अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रो. संपत सिंह किसी भी दिन कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं।

    प्रोफेसर ने अपनी नई राजनीतिक पारी के लिए अभी पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन जिस तरह से अभय सिंह चौटाला ने जल्दी ही किसी बड़े नेता के पार्टी ज्वाइन करने का दावा किया था, उससे लग रहा है कि प्रोफेसर इनेलो में शामिल हो सकते हैं।

    इनेलो प्रमुख रहे चुके पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में ही प्रोफेसर विधानसभा में विपक्ष के नेता और वित्त व बिजली मंत्री रहे हैं। संपत सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे अपने इस्तीफे में पार्टी की आपसी गुटबाजी का विस्तार से जिक्र किया और आरोप लगाया कि उन्हें नेता विशेष ने पार्टी को मजबूत नहीं करने दिया।

     

    कांग्रेस छोड़ चुके नेताओं के सिलसिलेवार नाम गिनवाए प्रो. संपत सिंह ने अपने इस्तीफे में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके स्व. भजनलाल, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. अरविंद शर्मा और पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना के समय-समय पर कांग्रेस छोड़कर चले जाने के कारणों से भी पार्टी नेतृत्व को अवगत कराया। साथ ही कहा कि अब इनमें अधिकतर नेता भाजपा की राजनीति कर रहे हैं।

    उन्होंने राज्यसभा चुनाव में आरके आनंद की हार का जिक्र भी अपने पत्र में करते हुए पार्टी के एक नेता को जिम्मेदार ठहराया। संपत सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि कुमारी सैलजा को राजनीतिक दबाव में अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। श्रुति चौधरी व किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर चले गए, जो कि भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। सावित्री जिंदल हिसार से निर्दलीय विधायक हैं। उनके बेटे नवीन जिंदल कांग्रेस छोड़कर चले गए और अब भाजपा के सांसद हैं।

    रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा के साथ हुई ज्यादती प्रो. संपत सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व से कहा कि रणदीप सिंह सुरजेवाला को हरियाणा में गुटबाजी के चलते राज्यसभा के चुनाव के लिए राजस्थान भेजा गया। अजय माकन हरियाणा से राज्यसभा का चुनाव हार गए।

    एक कांग्रेस नेता के बेटे को राज्यसभा का टिकट दिया गया, जबकि वह पहले से सांसद थे। लोकसभा चुनाव में दलित मतदाताओं ने भारी समर्थन देकर कांग्रेस को पांच सीटें जिताईं, परंतु राज्य नेतृत्व ने अहंकार और पारिवारिक हितों के कारण कुमारी सैलजा को हाशिये पर डाल दिया।

    उनके खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां और आपत्तिजनक वीडियो फैलाए गए। उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर 2024 में विधानसभा के टिकट धनबल वालों को दिए गए। राज्य नेतृत्व के करीबी लोगों ने “स्वतंत्र” उम्मीदवारों के रूप में कांग्रेस के विरुद्ध कार्य किया।

    वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव और कुलदीप शर्मा का अपमान होता रहा। कांग्रेस अब एक व्यक्ति और परिवार की जागीर बन चुकी है। 2005 में भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने 67 सीटें जीती थीं और उसके बाद से पराजय का सिलसिला जारी है।