भर्ती घोटाला : कई सनसनीखेज खुलासे, एक सचिव का नाम भी आ रहा सामने
हरियाणा के भर्ती घोटाले में सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। अब इस मामले में एक सचिव का नाम सामने आ रहा है।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग भर्ती घोटाले में एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में गिरफ्तार अनिल कुमार का किसी सचिव स्तर के अधिकारी से सीधा कनेक्शन था। अनिल को आयोग के लैंडलाइन नंबर से फोन कर किसी सेक्रेटरी साहब ने चार उम्मीदवारों के इंटरव्यू के सीरियल नंबर पता किए थे। सेक्रेटरी का नाम पहले भी उछला था। एक आरोपित ने फोन पर भर्ती के लिए साढ़े छह लाख रुपये की डिमांड की थी तो फोन करने वाले ने कहा था कि सेक्रेटरी से बात करके रिश्वत पांच लाख रुपये करवा लेंगे।
पंचकूला पुलिस द्वारा भर्ती घोटाले में गिरफ्तार आठ आरोपितों अधीक्षक सुभाष पराशर, सहायक रोहताश शर्मा, सुखविंद्र सिंह, अनिल शर्मा, आइटी सेल में अनुबंध कर्मचारी पुनीत सैनी, धर्मेंद्र, लिपिक हुडा विभाग बलवान सिंह और सहायक सिंचाई विभाग सुरेंद्र कुमार को कोर्ट में पेश किया गया। सात आरोपितों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सोनीपत के गांव आहुलाना निवासी अनिल शर्मा को दोबारा तीन दिन के रिमांड पर भेजने की याचिका दी। बचाव पक्ष के वकील समीर सेठी ने इसका विरोध किया। इसके बाद उसे दो दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया।
अनिल पर जबरन पैसे वसूलने का अारोप
पुलिस के अनुसार, अनिल सहायक स्थापना शाखा आयोग डाटा लीक होने के बाद उम्मीदवारों से संपर्क करता था। उसी की सबसे ज्यादा फोन कॉल्स रिकॉर्ड हुई, जिसमें वह पैसे की डिमांड कर रहा है। एक उम्मीदवार ने तो अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखकर अनिल को पैसे दिए। ये उम्मीदवार मेरिट के आधार पर सेलेक्ट होने वाले थे, लेकिन आरोपितों ने डरा धमका या फिर उनकी सेलेक्शन रद करवाने के नाम पर पैसा ऐंठा। अनिल का दलालों से सीधा संपर्क था और दलाल उसे रोल नंबर बताते थे, जिनका स्टेट्स वह पता करके देता था।
आरोपित पुलिस के रडार पर
अनिल के बयान के अनुसार, उसने रिश्वत के आए छह लाख में से चार लाख रुपये झज्जर जिले के मोनू और डेढ़ लाख रुपये अपने बेटे अरविंद को दिए। वह नीलोखेड़ी में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है। इसके अलावा 50 हजार रुपये आरोपित ने खर्च कर दिये हैं। अनिल के बेटे एवं साथी से पुलिस ने यह पैसा रिकवर करना है।
तीन उम्मीदवारों ने रिश्वत देने की बात मानी
पुलिस के समक्ष तीन उम्मीदवारों ने माना है कि उन्होंने रिश्वत दी है। जयवीर सिंह, किशोर लाल और रमेश चंद्र ने धारा 164 के बयानों में पुलिस को कहा है कि उनसे आरोपितों द्वारा रिश्वत ली गई। उन्हें डराया गया कि यदि पैसे नहीं दिए तो भर्ती से नाम कटवा देंगे। बचाव पक्ष के वकील समीर सेठी ने कोर्ट में दलील दी कि कानूनी तौर पर यदि रिश्वत लेना जुर्म है तो रिश्वत देना भी जुर्म है। इसलिए आरोपितों के साथ रिश्वत देने वालों को भी गिरफ्तार किया जाए।
सुभाष की गिरफ्तारी पर सवाल
कोर्ट में एक याचिका लगाकर एडवोकेट समीर सेठी ने कहा कि आयोग के कार्यालय में सुभाष नाम के तीन कर्मचारी काम करते हैं। पुलिस द्वारा जिस सुभाष का फोन टेप किया गया, पुलिस उसकी बजाय सीक्रेट ब्रांच में तैनात सुभाष को गिरफ्तार करके ले आई। पुलिस के पास उसके मोबाइल नंबर की कोई टेैपिंग भी नहीं है।
इस पर कोर्ट में एसीपी आदर्शदीप ने माना कि यह मोबाइल नंबर गिरफ्तार सुभाष का नहीं है, लेकिन वह सीक्रेट ब्रांच का इंचार्ज था। उसकी नाक के तले रोहताश एवं सुखविंद्र द्वारा डाटा लीक किया जा रहा था। जांच में उसका रोल सामने आया है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया है। सीएम फ्लाइंग के एसीपी धीरज सेतिया ने कहा कि जिस सुभाष का नंबर टेप किया गया है, उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा।
आरोपितों से पांच लाख रुपये बरामद
सोनीपत निवासी रमेशचंद्र ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया है कि उसने अपने रिश्तेदार को ड्राइवर की नौकरी लगवाने के लिए दो लाख रुपये दिए थे। वहीं चंडीगढ़ निवासी जयवीर ने अपने रिश्तेदार को क्लर्क लगवाने के लिए चार लाख रुपये दिए थे। इसके अलावा, किशोरलाल की एसए व स्टाफ नर्स के दोनों पदों पर नौकरी लगवाने की बातचीत चल रही थी। इन दोनों पदों के लिए साढ़े सात लाख रुपये में डील हुई थी। पेमेंट देने से पहले ही आरोपित पकड़े गए। पुलिस अब तक आरोपितों से 22 लाख रुपये में से पांच लाख रुपये रिकवर कर चुकी है।