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मनोहरलाल के लिए दूसरी पारी बड़ी चुनाैती, भाजपा सांसदों ने मौका भांप कर बनाया दबाव

हरियाणा के सीएम मनाेहरलाल के लिए दूसरी पारी बेहद चुनौती पूर्णबन गई है। राज्‍य में पूर्ण जजपा संग सरकार बनाने के बाद सांसदों ने मौका भांप कर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 09:39 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 08:54 AM (IST)
मनोहरलाल के लिए दूसरी पारी बड़ी चुनाैती, भाजपा सांसदों ने मौका भांप कर बनाया दबाव
मनोहरलाल के लिए दूसरी पारी बड़ी चुनाैती, भाजपा सांसदों ने मौका भांप कर बनाया दबाव

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में पूर्ण बहुमत से दूर रहने के बाद जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद मुख्‍यमंत्री मनाेहरलाल के लिए दूसरी पारी चुनौतीपूर्ण हो गई है। उनको सहयोगी दल जजपा को संतुष्ट करना होगा तो निर्दलीय विधायकों को भी साधे रहना होगा। इसके साथ ही मौका भांप कर राज्‍य से पार्टी के सांसदों ने भी अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये सांसद चाहते हैं कि सरकार उनको पूरी तव्‍वजो दे और इसके साथ ही राजनीतिक पदों पर नियुक्तियों में भी उनका महत्‍व मिले। 

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ऐसे में सीएम मनोहरलाल को भाजपा के विधायकों के साथ-साथ सांसदों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। भाजपा और जजपा के बीच दिन-प्रतिदिन का आपसी समन्वय भी बनाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री कार्यालय पर ही रहेगी। केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया के निवास पर सांसदों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित प्रदेश प्रभारी व भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अनिल जैन ने सांसदों के हर सवाल का जबाव दिया।

राजनीतिक नियुक्तियों में सांसदों चाहत का रखना होगा ध्‍यान

इस बैठक में सांसदों ने यह मांग रखी कि राज्य में राजनीतिक तौर पर होने वाली सरकारी नियुक्तियों में भी सांसदों की संस्तुतियों का ध्यान रखना होगा। सांसदों का कहना था कि उनकी संस्तुतियों को दरकिनार किए जाने से अर्थ यह होगा कि राज्य के 58 फीसद मतदाताओं की अनदेखी।

सीएम के साथ बैठक में मौजूद सांसद।

सांसदों ने स्पष्ट किया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को 58 फीसद मत मिले हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव के परिणामों पर भी ध्यान करना होगा। इन सांसदों ने यह भी कहा कि मार्केट कमेटियों और सहकारी समितियों से लेकर अन्य अनेक ऐसी राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं जिनमें सांसदों की अनदेखी होती है तो कार्यकर्ताओं में नाराजगी होती है।

सीएम और प्रदेश प्रभारी के समक्ष सांसदों ने मांगा राज्य सरकार में अपना हक

सूत्र बताते हैं कि सांसदों ने बेशक मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बात दबी जुबान में रखी मगर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने तो साफ तौर पर सभी मांगों का समर्थन किया। बीरेंद्र सिंह ने राज्य सरकार को यह भी नसीहत दी कि सांसदों की अनदेखी करने से पार्टी का बड़ा नुकसान होता है। पिछले 25 साल में जब से सांसद निधि कोष शुरू हुआ है तब से सांसदों की मतदाताओं से और मतदाताओं की सांसदों से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। इसलिए सांसदों की संस्तुति को संबंधित क्षेत्रों के विधायकों से समन्वय बनाकर आगे बढ़ाना चाहिए।

सीएम के साथ बैठक में मौजूद सांसद।

एक सांसद का तो यह भी कहना थाकि राज्य सरकार की नीतियों, विकास निधि से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों के बारे में एकसमान नीति बननी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि जो सांसद किसी न किसी रूप में सीएम के ज्यादा नजदीक होता है वह अपने ज्यादा काम करवा लेता है और जो सांसद अपने काम के लिए सीएम से कम मिलता है, वह पीछे रह जाता है।

जजपा से बेहतर तालमेल के लिए भी दिए सुझाव

सांसदों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जननायक जनता पार्टी से बेहतर तालमेल संबंधी भी सुझाव दिए। कुछ सांसदों का मानना है कि जजपा विधायकों की व्यक्तिगत बात मानने की बजाए पार्टी स्तर पर ही उनकी बात सुनी जाए। जजपा विधायकों को सीधे तौर पर पार्टी स्तर से अपनी बात कहने के लिए प्रेरित किया जाए। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत जो नीतियां बने उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सांसदों का भी सक्रिय सहयोग लिया जाए।

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इसके साथ ही कुछ सांसदों ने यह बात भी रखी कि जो 11 विभाग जजपा के खाते में हैं, उनमें काम करवाने के लिए सांसद क्या रीति-नीति अपनाएं यह भी तय किया जाना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि सांसदों को यह हिदायत दी गई कि वे जजपा के खाते के विभागों में काम के लिए सीधे संबंधित मंत्री को पत्र न लिखकर सीएम कार्यालय में लिखें। वहां से उनके कार्यों का समन्वय किया जाएगा। सीएम कार्यालय में ही जजपा के विधायकों के वे कार्य आएंगे जो भाजपा के मंत्रियों से संबंधित होंगे। बताया जा रहा है कि मंत्रियों को सीधे तौर पर दूसरे दल के कार्य करने की बजाए सीएमओ को संवाद में लेना होगा।

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