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IAS अशोक खेमका का एक और Transfer, 53वें तबादले पर बोले- ईमानदारी का इनाम जलालत

हरियाणा के‍ चर्चित आइएएस अफसर डॉ.अशोक खेमका का एक और तबादला कर दिया गया है। यह उनका 53वां तबादला है। तबादले पर खेमका ने ट्वीट कर अपना दर्द बयां किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 05:28 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 09:54 AM (IST)
IAS अशोक खेमका का एक और Transfer, 53वें तबादले पर बोले- ईमानदारी का इनाम जलालत
IAS अशोक खेमका का एक और Transfer, 53वें तबादले पर बोले- ईमानदारी का इनाम जलालत

चंडीगढ़, जेएनएन । हरियाणा के चर्चित आइएएस डॉ. अशोक खेमका पर फिर तबादले की गाज गिरी है। पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज के चहेते अफसरों में शुमार  खेमका को गठबंधन सरकार का पहला और अपने कॅरियर का 53वां तबादला मिला है। खेमका की नई पोस्टिंग को गठबंधन सरकार में साइड लाइन लगाने से जोड़कर देखा जा रहा है। 

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हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर ने ट्वीट कर अपने तबादले पर उठाए सवाल

पिछले साल नवंबर में तत्कालीन राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी से सरकारी वाहन के विवाद के बाद खेमका को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव पद से हटाकर खेल एवं युवा मामले विभाग में लगाया गया था। तब यह महकमा अनिल विज के पास था। खेल पॉलिसी पर विवाद के बाद खेमका को विगत मार्च में खेल महकमे से हटाकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में भेजा गया था। इस विभाग के मंत्री भी अनिल विज ही थे।

संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की दी दुहाई, गठबंधन सरकार में पहला तबादला

इस बार खेमका को अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभागों का प्रधान सचिव बनाया गया है। यह महकमा जजपा कोटे से स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री अनूप धानक के पास है। खेमका पहले भी इस महकमे में काम कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मे खेमका ने आइआइटी खडग़पुर से 1988 में बीटेक करने के बाद कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए कर चुके खेमका ने वकालत भी कर रखी है। बंसी लाल से लेकर लेकर मनोहर लाल तक, कोई ऐसी सरकार नहीं बची, जिसमें खेमका का व्यवस्था से सीधे टकराव नहीं हुआ।

भजन लाल, ओम प्रकाश चौटाला हों या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हर राज में खेमका सीधे व्यवस्था से टकराते रहे। बदले में उन्हें धड़ाधड़ तबादलों का इनाम मिले। 'भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध' के लिए खेमका को वर्ष 2011 में आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के साथ एसआर जिंदल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

खेमका का विवादों से पुराना नाता

अशोक खेमका 1991 बैच के हरियाणा कैडर के आइएएस अफसर अकसर चर्चाओं में रहे हैं। 28 साल की नौकरी में 53 बार स्थानातंरण हो चुका है। गुरुग्राम में कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे से जुड़ी जांच के कारण अशोक खेमका सुर्खियों में रहे। कहा जाता है कि खेमका जिस भी विभाग में जाते हैं, वहीं घपले-घोटाले उजागर करते हैं, जिसके चलते अकसर उन्हें तबादला झेलना पड़ता है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में भी बतौर व्हिसल ब्लोअर कई घोटालों का खुलासा कर चुके हैं। नवंबर 2014 में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के लैंड डील से जुड़े खुलासे के बाद उनका तबादला परिवहन विभाग में कर दिया था जिस पर सवाल उठे थे।

बाद में परिवहन विभाग में भी विवाद उठा तो उन्हें इस महकमे से भी हटा दिया गया। मनोहर सरकार में पिछले साल मुख्य सचिव ने खेमका की एसीआर में 10 में से 8.22 नंबर दिए जिसे खेल मंत्री अनिल विज ने बढ़ाकर 9.92 कर दिया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नंबर काट कर फिर नौ कर दिए तो खेमका हाईकोर्ट पहुंच गए थे।

तबादले के बाद अशोक खेमका का ट्वीट।

खेमका की टीस...ईमानदारी का इनाम जलालत

 ' फिर तबादला। लौट कर फिर वहीं। कल संविधान दिवस मनाया गया। आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया। कुछ प्रसन्न होंगे। अंतिम ठिकाने जो लगा। ईमानदारी का इनाम जलालत।

                                                                                            - आइएएस अशोक खेमका का ट्वीट।

सबसे अधिक हुड्डा सरकार में हुए खेमका के तबादले                  

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में खेमका को 22 तबादले झेलने पड़े थे। पिछली मनोहर सरकार में भी छह बार खेमका के महकमे बदले गए, जबकि मौजूदा गठबंधन सरकार के कार्यभार संभालने के एक महीने के

खेमका का विवादों से पुराना नाता

प्रदीप कासनी ने झेले थे 70 तबादले

वैसे अभी तक सर्वाधिक तबादले झेलने वाले अधिकारियों की बात करें तो इसमें टाप पर प्रदीप कासनी हैं। कासनी फरवरी 2018 में सेवानिवृत्त हुए। उनका सेवानिवृत्ति से पहले 70 बार तबादला हुआ था। 1997 बैच के आइएएस प्रदीप कासनी पहले वह एचसीएस थे। उनकी पत्‍नी नीलम प्रदीप कासनी भी सीनियर आइएएस रही हैं और राज्यपाल के एडीसी पद से रिटायर हुई हैं।

मूल रूप से भिवानी जिले के रहने वाले प्रदीप कासनी और उनकी पत्नी नीलम प्रदीप कासनी साहित्यकार हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अशोक तंवर के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता ली, लेकिन तंवर के खुद कांग्रेस छोडऩे के बाद वह नेपथ्य में हैं।                                                                                 -

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