वंदे मातरम् पर हरियाणा विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस के 10 विधायक को सदन से निकाला; मार्शल संग हाथापाई की नौबत
हरियाणा विधानसभा में वंदे मातरम् को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। अनिल विज ने कांग्रेस पर जिन्ना के कहने पर वंदे मातरम् को तोड़ने का ...और पढ़ें
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वंदे मातरम् पर हरियाणा विधानसभा में हंगामा। फोटो एक्स
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर शुक्रवार को हरियाणा विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। दोनों पक्षों में बेहद तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच कांग्रेस विधायक विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण की कुर्सी के सामने पहुंच गए और चेतावनी के बावजूद सीट पर नहीं लौटे।
स्थिति संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष खुद खड़े हो गए, लेकिन चार बार की चेतावनी के बावजूद कांग्रेस विधायक नहीं माने। इस पर गुस्साए विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 10 विधायकों को सदन से 'नेम' (सदन से बाहर करने) का आदेश जारी कर दिया, लेकिन विधायक टस से मस नहीं हुए। मार्शलों ने विधायकों को बाहर ले जाने की कोशिश की तो हाथापाई की नौबत बन गई।
कुछ विधायकों को मार्शल बाहर ले जाने में सफल रहे, जबकि अन्य को पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाहर जाने को कहा, जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई। हालांकि बाद में हुड्डा के बार-बार अनुरोध पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा अध्यक्ष से नेम किए विधायकों को वापस बुलाने को कहा, जिसके बाद सभी विधायकों का नेम खत्म कर दिया गया।
इस दौरान सदन की कार्यवाही करीब आधा घंटे तक स्थगित रही। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भाजपा विधायक घनश्याम दास और योगेंद्र सिंह राणा ने शून्यकाल के बाद संसद की तर्ज पर सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा।
विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित बीबी बत्रा, चौधरी आफताब अहमद, गीता भुक्कल, रघुबीर कादियान सहित कांग्रेस विधायकों ने इसके औचित्य पर सवाल उठाए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा शुरू कराने की घोषणा कर दी।
कांग्रेस की ओर से आदित्य सुरजेवाला ने चर्चा शुरू करते हुए राष्ट्रगीत की पंक्तियों को भारत मां की संज्ञा देते हुए पर्यावरणीय संकट से जोड़ा और सवाल उठाया कि क्या प्रदूषित पानी, हवा और भूमि के बीच 'वंदे मातरम्' का सच्चा सम्मान हो रहा है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् को विभाजन का हथियार मत बनाइए, बल्कि यदि सच में सम्मान है तो नदियां, जंगल और हवा बचाइये।
इस पर बिजली और परिवहन मंत्री अनिल विज ने बीच में कूदते हुए कहा कि आपने (कांग्रेस) जिन्ना के कहने पर वंदे मातरम् के दो पैरों को काट दिया, जबकि आज तक किसी ने गीता, रामायण और कुरान को नहीं काटा।
विपक्ष (कांग्रेस) ने वंदे मातरम् को जिन्ना के दबाव में तोड़कर देश को तोड़ने की नींव रख दी क्योंकि आप (तत्कालीन कांग्रेस के नेता/विपक्ष) कुछ लोगों के आगे झुक गए।
वंदे मातरम् की पवित्रता को भंग किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को वंदे मातरम् के साथ जोड़कर नहीं कहा जाना चाहिए।
रूटीन के विषयों को देश की सम्मान के प्रतीक वंदे मातरम् से जोड़ना गलत है। वंदे मातरम् सुनकर हर किसी का खून उबल जाता है। बाक्स हुड्डा बोले- अब ये मुझे वंदे मातरम् सिखाएंगे बहस के बीच कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि जब कांग्रेस का राज था, तो क्या हाल था, यह सभी जानते हैं।
इस पर विपक्ष के भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मेरे दादा चौधरी मातूराम खुद स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 16 फरवरी 1921 को रोहतक में जुटे 25 हजार लोगों की भीड़ में महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय और मौलाना अबुल कलाम के साथ वंदे मातरम् बोला था।
मेरे पिता रणबीर सिंह हुड्डा खुद संविधान सभा के सदस्य थे, जिन्होंने राष्ट्रीय गीत को स्वीकृत किया था। सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए हुड्डा ने कहा कि अब ये मुझे वंदे मातरम् सिखाएंगे।
मिन्नतें करते रहे मार्शल, स्पीकर ने चेताया तो दिखाई सख्ती
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दोनों तरफ से जमकर नारेबाजी होती रही। इसी बीच कांग्रेस विधायक विधानसभाअध्यक्ष के आसन के सामने पहुंच गए।
विधानसभा अध्यक्ष की बार-बार चेतावनी के बाद हुड्डा सहित कुछ विधायक वापस सीट पर लौट गए, जबकि इंदुराज नरवाल, अशोक अरोड़ा, शकुंतला खटक, जस्सी पेटवाड़, देवेंद्र हंस, विकास सहारण, बलराम दांगी, नरेश सेलवाल, कुलदीप वत्स और गीता भुक्कल वहीं जमे रहे।
चार बार की चेतावनी के बाद भी यह विधायक नहीं माने तो विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हें नेम करने का आदेश जारी करते हुए मार्शलों को इन्हें बाहर करने का आदेश दे दिया।
मार्शल विधायकों से बाहर जाने की मिन्नतें करते रहे, लेकिन जब वे बाहर नहीं गए तो स्पीकर ने मार्शलों को ही चेतावनी दे डाली। इसके बाद मार्शल बलराम दांगी और जस्सी पेटवाड़ सहित कुछ अन्य विधायकों को बाहर ले जाने में सफल रहे।
इसी दौरान गीता भुक्कल को भी बाहर ले जाने के लिए आधा दर्जन महिला मार्शल पहुंच गईं। एक मार्शल ने हाथ जोड़कर भुक्कल से कहा कि आप बाहर चलिए, लेकिन भुक्कल वहीं जमी रहीं। विधानसभा अध्यक्ष के तीखे तेवर देखते हुए हुड्डा ने उन्हें अंत में बाहर जाने के लिए कहा।
फिर उन्होंने बार-बार स्पीकर से सभी विधायकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया, जिस पर मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विधायकों को वापस बुला लिया गया।
कांग्रेस ने वंदे मातरम् के कर दिए टुकड़े
नायब सैनी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष के हम सब साक्षी हैं जो हमारे लिए गर्व की बात है। हमारी स्वतंत्रता की तपस्वी यात्रा का स्मरण है यह मंत्र।
वर्ष 2015 में इमरजेंसी में पीड़ित लोकतंत्र सेनानियों के लिए प्रदेश सरकार ने शुभ्रा ज्योत्सना पेंशन स्कीम शुरू की। यह शब्द भी वंदे मातरम् से ही लिया गया। यदि वंदे मातरम् की भावना न होती तो आज हम जनप्रतिनिधि के रूप में इस सदन में नहीं बैठे होते।
आजादी की लड़ाई में महिलाओं, बच्चों, युवाओं ने कोड़े खाए, जेल गए, फांसी के फंदे को चूमा, लेकिन उनके होठों पर अंतिम शब्द वंदे मातरम् ही रहा। यह देश का दुर्भाग्य है कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर टुकड़े कर दिए।
तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में वंदे मातरम् के भाव को तोड़ा गया। केंद्र और हरियाणा सरकार ने वंदे मातरम् के गौरव गान को पूरे एक वर्ष तक मनाने का निर्णय है।

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