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    रिटायर्ड इंस्पेक्टर की पेंशन रोकी, सेवानिवृत्त लाभ नहीं दिए, हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी की गाड़ी होगी कुर्क

    By Ravi Atwal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Thu, 25 Sep 2025 01:00 AM (IST)

    चंडीगढ़ जिला अदालत ने हरियाणा के एक्साइज इंस्पेक्टर रहे रविंदर कुमार की याचिका पर हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी की सरकारी गाड़ी को कुर्क करने का फैसला सुनाया है। रविंदर कुमार पांच साल पहले रिटायर हुए थे लेकिन अभी तक उनके सेवानिवृत्ति के लाभ नहीं दिए। अदालत ने सरकार को ब्याज सहित रकम लौटाने का आदेश दिया था जिसका पालन नहीं हुआ।

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    चंडीगढ़ की जिला अदालत ने सुनाया गाड़ी कुर्क करने का आदेश।

    रवि अटवाल, चंडीगढ़। जिला अदालत ने हरियाणा के एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के रिटायर्ड इंस्पेक्टर रविंदर कुमार की याचिका पर हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी की सरकारी गाड़ी को कुर्क किए जाने का फैसला सुनाया है। रविंदर कुमार पांच साल पहले विभाग से बतौर एक्साइज इंस्पेक्टर सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन सरकार ने अभी तक उनके रिटायरमेंट बेनिफिट नहीं दिए। यहां तक कि उनकी पेंशन भी रोक दी गई थी।

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    रविंदर कुमार पर एक आपराधिक मुकदमा था और विभागीय जांच चल रही थी। उसमें तीन साल पहले ही उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी। फिर भी विभाग ने उन्हें उनका हक नहीं दिया। ऐसे में रविंदर ने हरियाणा सरकार, एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर एक्साइज एंड टैक्सेशन सोनीपत और कुरुक्षेत्र के खिलाफ याचिका दायर की थी।

    उनकी तरफ से पेश हुए एडवोकेट डीआर कैथ ने बताया कि पिछले साल अदालत ने रविंदर कुमार के हक में फैसला सुनाया था और उन्हें नौ प्रतिशत ब्याज के साथ रुकी हुई पूरी रकम लौटाने के निर्देश दिए थे। हरियाणा सरकार ने इस आदेश को नहीं माना और निचली अदालत के फैसले को सेशंस कोर्ट में चुनौती दे दी। ऊपरी अदालत ने भी इस फैसले को बरकरार रखा और अपील रद कर दी थी। इस दौरान रविंदर ने अदालत में एक एग्जीक्यूशन पिटीशन भी दायर की थी जिस पर अदालत ने अब चीफ सेक्रेटरी की गाड़ी अटैच करने के निर्देश दिए।

    विभागीय जांच में बरी कर दिया गया था

    रविंदर कुमार 27 सितंबर 1988 को विभाग में चपरासी भर्ती हुए थे। 30 सितंबर 2020 को वह एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर रिटायर हुए। रिटायरमेंट से छह महीने पहले उन्हें शो काज नोटिस जारी हुआ। वर्ष 2018 में उन्हें पुलिस द्वारा जब्त शराब की खेप को नष्ट करने की ड्यूटी मिली थी।

    उन पर शराब को बेचने के आरोप लगे और विभागीय जांच शुरू कर दी गई। उन पर एफआईआर भी दर्ज हो गई। हालांकि 18 अप्रैल 2022 को उन्हें विभागीय जांच में बरी कर दिया गया। वहीं, पुलिस ने भी जो चालान पेश किया उसमें से उनका नाम निकाल दिया गया। इन सबके बावजूद सरकार ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों से वंचित रखा।