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    हरियाणा में आरक्षण के कोटे में कोटा: CM नायब सैनी के फैसले से अन्य राज्यों की सरकारों पर कितना पड़ेगा असर

    Updated: Mon, 21 Oct 2024 02:46 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने वंचितों के आरक्षण को उपवर्गीकृत कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस फैसले से वंचितों में शामिल अति वंचित जातियों के लोगों को आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट की आब्जर्वेशन को लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। हरियाणा के इस पहल से अन्य राज्यों पर भी इसे लागे करने का दबाव बढ़ेगा।

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    NDA सरकारों पर बढ़ेगा हरियाणा का फैसला लागू करने का दबाव।

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में वंचितों के आरक्षण का उपवर्गीकरण कर भाजपा ने जहां वंचित हितैषी होने का बड़ा उदाहरण पेश किया है, वहीं राजग शासित राज्य सरकारों के सामने इसे लागू करने का दबाव भी बढ़ा दिया है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के दायित्व ग्रहण समारोह के दिन चंडीगढ़ में राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा था कि राज्यों को एक-दूसरे के यहां लागू योजनाओं, कार्यक्रमों और नीतियों का अध्ययन कर उन्हें लागू करने की पहल करनी चाहिए।

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    इसे लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य

    राजग शासित राज्यों की बैठक के तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने वंचित कल्याण का जो फैसला लिया है, उसका पूरे देश में बड़ा संदेश गया है। सुप्रीम कोर्ट की इस आब्जर्वेशन को लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। राज्य में वंचितों की आबादी 22 प्रतिशत के आसपास है।

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    इस आबादी को अपनी तरफ मोड़ने के लिए विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच जबरदस्त खींचतान चली। कांग्रेस और भाजपा ने एक-दूसरे पर संविधान तथा आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने के आरोप तक लगाए, लेकिन जिस तरह वंचितों ने चुनाव में भाजपा के प्रति अपना लगाव दिखाया है, उससे दो कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा सरकार ने भी आरक्षण का उपवर्गीकरण लागू कर वंचितों में शामिल अति वंचित जातियों के लोगों को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए हैं।

    हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग ने तैयार की थी रिपोर्ट

    भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को विभाजित करने की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट की आब्जर्वेशन के बाद अब तीसरे कार्यकाल में स्वीकृति प्रदान की गई है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वंचित अनुसूचित जातियों का राज्य की सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, जबकि अन्य अनुसूचित जातियों का उनकी जनसंख्या के अनुपात की तुलना में अधिक प्रतिनिधित्व है।

    इस असमानता को तोड़ने की आवश्यकता समझते हुए समान अवसरों को सुनिश्चित करने और सार्वजनिक रोजगार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने हेतु राज्य सरकार द्वारा उप-वर्गीकरण किया जा रहा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में योजनाबद्ध तरीके से वंचित सम्मेलनों का आयोजन किया था, जिसकी शुरुआत कुरुक्षेत्र से हुई।

    इस सम्मेलन के संयोजक भाजपा के वंचित नेता सुदेश कटारिया रहे, जबकि केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के साथ तीन केंद्रीय मंत्री इसमें शामिल हुए। सुदेश कटारिया ने राज्य के सभी वंचित बाहुल्य इलाकों में सम्मेलन करने का सिलसिला आरंभ किया, जो कि जारी है।

    यह रहेगी आरक्षण के उप वर्गीकरण की व्यवस्था

    उप-वर्गीकृत आरक्षण के प्रयोजन के लिए हरियाणा में अनुसूचित जातियां दो श्रेणियों में होंगी। पहली अनुसूचित जातियां और दूसरी वंचित अनुसूचित जातियां (डीएससी)। सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 20 प्रतिशत कोटे में से आधा यानि 10 प्रतिशत कोटा वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रहेगा।

    यदि वंचित अनुसूचित जातियों के उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं तो ही अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवार को शेष रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विचार किया जाएगा। इसी प्रकार यदि अन्य अनुसूचित जातियों के उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो ही वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों को शेष रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा।

    सरकारी नौकरियों की भर्ती में वंचित अनुसूचित जातियों और अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों की अंतर-वरिष्ठता भर्ती एजेंसी द्वारा तैयार की गई कामन मेरिट लिस्ट के अनुसार होगी। एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए नीति बनाई जाएगी।

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