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    हाईकोर्ट ने हरियाणा बिजली वितरण निगम को लगाई फटकार, पूर्व नौसैनिक को नौकरी से वंचित करने से जुड़ा है मामला

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:31 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने DHBVN की आलोचना करते हुए कहा कि योग्य पूर्व नौसैनिक को जूनियर इंजीनियर की नौकरी से वंचित करना गलत है। कोर्ट ने निगम से हलफनामा मांगा है जिसमें पूर्व सैनिकों के लिए आवश्यक शर्तों और चयनित उम्मीदवारों की जानकारी मांगी गई है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व सैनिकों का सम्मान नागरिक नौकरी देकर किया जाना चाहिए।

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    पूर्व नौसैनिक को नौकरी से वंचित करने पर हाईकोर्ट ने हरियाणा बिजली वितरण निगम की आलोचना की।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की बिजली वितरण कंपनी दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम की कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि योग्य और चयनित होने के बावजूद एक पूर्व नौसैनिक को जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) की नौकरी से वंचित करना अनुचित है।

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    पूर्व नौसैनिक विनोद कुमार ने एक्स-सर्विसमैन कोटे के तहत आवेदन किया था। उसने कटआफ से अधिक अंक हासिल किए, लेकिन निगम ने उनके नौसैनिक ट्रेड इक्विवेलेंस सर्टिफिकेट की वैधता पर सवाल उठाते हुए नियुक्ति देने से मना कर दिया। जबकि, कोर्ट के सामने यह तथ्य आया कि इसी विज्ञापन के तहत दो अन्य पूर्व सैनिक, जिनकी योग्यता भी समान थी, पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं।

    मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि यह सर्वविदित है कि सशस्त्र बलों की सेवाओं के दौरान हासिल तकनीकी कौशल कठोरतम प्रशिक्षण से प्राप्त होते हैं। नौसेना अभियानों की सटीकता यह सुनिश्चित करती है कि प्रशिक्षित उम्मीदवार उन्नत तकनीकों में दक्ष हो जाते हैं और कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं।

    कोर्ट ने कहा कि सामान्यतः वह भर्ती प्रक्रिया और निर्धारित योग्यताओं में हस्तक्षेप नहीं करती, लेकिन इस मामले में हस्तक्षेप ज़रूरी है क्योंकि यह एक योग्य पूर्व सैनिक के पुनर्वास से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया पूर्व सैनिकों की सेवाओं का सम्मान केवल शब्दों से नहीं, बल्कि उन्हें नागरिक नौकरियों के अवसर देकर व्यावहारिक रूप से किया जाना चाहिए।

    जस्टिस बराड़ ने व्यापक सामाजिक पहलू पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में सैनिक अपेक्षाकृत कम उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं, लेकिन उनके लिए नागरिक नौकरियों के अवसर उसी अनुपात में उपलब्ध नहीं होते।

    ऐसे में किसी भी नियोक्ता का कर्तव्य है कि वह अनावश्यक बाधाएं न खड़ी करे। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि भर्ती नियम इतने कठोर लागू किए जाए कि पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण का लाभ ही समाप्त हो जाए, तो पूरा उद्देश्य निरर्थक हो जाएगा। इसलिए नियमों को इतना लचीला होना चाहिए कि आरक्षण का वास्तविक लाभ पूर्व सैनिकों तक पहुच सके।

    कोर्ट ने निगम के प्रबंध निदेशक को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि जूनियर इंजीनियर पदों के लिए आवश्यक शर्तें कब लागू की गईं और अब तक कितने पूर्व सैनिक इस कोटे के तहत चयनित हुए हैं।इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।