'रोजी-रोटी का अधिकार न हो प्रभावित...', पंजाब-हरियाणा HC ने राशन डिपो का लाइसेंस रद करने का आदेश किया रद
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नूंह जिले में राशन डिपो का लाइसेंस रद्द करने का आदेश रद्द किया। कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने ठोस कारण नहीं बताए। जस्टिस पुरी ने जाहिद हुसैन की याचिका स्वीकार की। कोर्ट ने कहा आजीविका का मुद्दा अनुच्छेद 21 के तहत आता है। कोर्ट ने मामले को दोबारा लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भेजा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नूह जिले में एक राशन डिपो का लाइसेंस रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण और अपीलीय प्राधिकरण दोनों ने गैर-विस्तृत और संक्षिप्त आदेश पारित किए, जिनमें कोई ठोस कारण दर्ज नहीं किया गया।
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने राशन डिपो मालिक जाहिद हुसैन की याचिका स्वीकार करते हुए जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक, नूह के 26 दिसंबर 2022 के आदेश और उपायुक्त, नूह के 24 अगस्त 2023 के आदेश को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि आजीविका का मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे में आता है, जो जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है।
'याची का जवाब संतोषजनक नहीं'
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल यह दर्ज कर देना कि याची का जवाब संतोषजनक नहीं है , लाइसेंस रद्द करने का वैध कारण नहीं हो सकता, क्योंकि इससे व्यक्ति की रोज़ी-रोटी प्रभावित होती है।
हाईकोर्ट ने मामले को दोबारा लाइसेंसिंग प्राधिकरण को भेजते हुए निर्देश दिया कि तीन माह के भीतर याची को पर्याप्त सुनवाई का अवसर देकर नया और कारणयुक्त आदेश पारित किया जाए। जाहिद हुसैन ने संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उनकी ओर से दलील दी गई कि लाइसेंस रद्द करने के आदेश में केवल उनके जवाब को असंतोषजनक बताया गया है, लेकिन आरोपों पर कोई चर्चा नहीं की गई।
नहीं रद किया जा सकता लाइसेंस
वहीं, अपीलीय आदेश ने भी बिना किसी स्वतंत्र तर्क के पिछले आदेश को सही ठहरा दिया।10 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से इन तर्कों का खंडन नहीं कर सके। इस पर अदालत ने कहा कि राशन डिपो का लाइसेंस रद्दीकरण इतने अस्पष्ट आधारों पर न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।
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