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    प्रेम संबंधों पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उठाए कई अहम सवाल, आनर किलिंग पर जताई चिंता

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 23 Oct 2020 01:08 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि परिवार वाले आखिर इज्जत के नाम पर अपने बच्चों की हत्या करने को कैसे तैयार हो जाते हैं। घर से भागकर प्रेम विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों की जान को खतरा होने संबंधी याचिकाओं पर हाई कोर्ट नेे तल्ख टिप्पणी की है।

    प्रेमी जोड़ों के मामले पर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की। सांकेतिक फोटो

    चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। घर से भागकर प्रेम विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों द्वारा घर वालों से अपनी जान को खतरा और आनर किलिंग (सम्मान के लिए हत्या) की आशंका के बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। प्रेमी जोड़ों द्वारा सुरक्षा मांगने के अलग-अलग मामलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस अरूण मोंगा ने हैरानी जताई कि आज समाज किस तरफ जा रहा है। कैसे मान सम्मान के नाम पर अलग जाति व धर्म में प्रेम विवाह करने वालों के खिलाफ परिवार वाले अंधे होकर अपने बच्चों की हत्या करने के लिए तैयार हो जाते है।

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    हाई कोर्ट ने इसके लिए केवल परिवार वालों को नहीं वरन कानून पर भी सवाल उठाए हैं। जस्टिस मोंगा ने कहा कि संविधान में विवाह करने को लेकर प्रावधान हैं, लेकिन यदि इन प्रावधानों के खिलाफ जाकर भी प्रेमी जोड़ा विवाह करता है तो मान-सम्मान के नाम पर उनकी हत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट ने एक अन्य सवाल उठाते हुए कहा कि बाल विवाह अधिनियम के तहत यदि कम उम्र की लड़की से लड़का विवाह करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है, लेकिन जब बालिग युवती किसी नाबालिग से विवाह करती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई को लेकर कानून चुप है।

    साथ ही हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि विवाह योग्य आयु पूरी न होने की स्थिति में लड़की को किसे सौंपना चाहिए? क्या उसे उसकी पसंद के लड़के के साथ जाने देना चाहिए? या नारी निकेतन की तरह के संस्थान में भेज देना चाहिए? या फिर उन अभिभावकों के साथ जिन्होंने जिसे वह पसंद करती है, उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाया है।

    हाई कोर्ट ने कहा कि प्रेमी जोड़ों की स्थिति में लड़की के अभिभावक लड़के के खिलाफ अपराधिक कार्रवाई के लिए शिकायत देते हैं और ऐसा करना उसे अपराधी बनाने की ओर लेकर जाता है और मस्तिष्क में गहरी चोट देता है। जस्टिस मोंगा ने बाल विवाह कानून पर भी सवाल उठाया और कहा कि इस मामले को लेकर न्यायिक स्तर पर सुनवाई जरूरी है।

    बेंच ने एक विद्वान के कोट्स का हवाला देकर कहा कि नादानी व कच्ची उम्र में की गई गलती को दयालुता की भावना से निपटारा करना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नादानी व कच्ची उम्र अपराध करने का लाइसेंस देती हो। इस पर प्रेमी जोड़े के वकील ने याचिका वापस लेते हुए इस मामले में कोर्ट मित्र के तौर पर कोर्ट की सहायता करने का आग्रह किया जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।