Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जताई चिंता, युवाओं को नशे में झोंकने वाले राहत के हकदार नहीं

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:15 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि देश के भविष्य यानी युवाओं को नशे के दलदल में झोंकने वाले किसी भी तरह की राहत के हकदार नहीं हैं। हाई कोर्ट ने मामले में एक आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी।

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। यह आबादी देश की तरक्की व भविष्य की आस है, लेकिन यही युवा आबादी देश के लिए चिंता का कारण भी बन रहे हैंं। इसकी वजह है, काफी संख्या में युवाओं को नशे की लत लगना। देश के भविष्य को नशे के दलदल में झोंकने वाले किसी भी तरह की राहत के हकदार नहीं हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाई कोर्ट के जस्टिस एसएस सेठी ने रेवाड़ी निवासी परमिला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। बेंच ने बढ़ते ड्रग के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह नागरिकों के जीवन को नष्ट कर रहा है। देश में इन कंट्राबेंड (वर्जित) को खरीदने और बेचने वाले लोगों की संख्या में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

    बेंच ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा युवा आबादी है, लेकिन नशे की लत के अधिकतर लोग इन युवाओं में से हैं, जिसके परिणामस्वरूप अपराध और हिंसा बढ़ गई है। दिन-प्रतिदिन नशीली दवाओं की बढ़ती संख्या के कारण परेशानी वाली स्थिति पैदा हो गई है।

    हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता परमिला सह अभियुक्त है, जिस पर काफी मात्रा में नशीले पदार्थ रखने व बेचने का आरोप है। इस कारण मुख्य आरोपित व सह अभियुक्त के खिलाफ नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 की धारा 20 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे गलत तरीके से फंसाया गया था। केवल एक ड्रग पैडलर द्वारा दिए गए बयान के आधार पर ही उसके विरुद्ध कार्रवाई की गई है। उसने निर्दोष होने का दावा करते हुए कहा कि उसने कभी भी कोई प्रतिबंधित नशीला पदार्थ नहीं बेचा। बेंच ने याची की दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की कस्टोडियल पूछताछ आवश्यक है।

    हाईकोर्ट के अनुसार ऐसे लोग जो देश के भविष्य को नशे के दलदल में झोंक रहे हैंं उनको किसी भी तरह की राहत नहीं दी जानी चाहिए। हिरासत में लेकर उनसे यह पूछना जरूरी है कि प्रतिबंधित नशीला पदार्थ कहां से आया और इसके पीछे कौन लोग हैं और उनका क्या मकसद है? यह तभी संभव है जब याची को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की जाए।