पंजाब हरियाणा HC ने केंद्र सरकार की याचिका की खारिज, सैनिक के परिजन विशेष पारिवारिक पेंशन पाने के हकदार
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा कि सेना में सेवा के दौरान बीमार हुए सैनिक की मृत्यु को सैन्य सेवा से संबंधित माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भर्ती के समय स्वस्थ पाए गए सैनिक को बाद में गंभीर बीमारी होने पर उसे सेवा से जुड़ी ही माना जाएगा जब तक सरकार विपरीत प्रमाण न दे। परिजनों को विशेष पारिवारिक पेंशन मिलेगी।

राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सेना में सेवा के दौरान बीमार हुए सैनिक की मृत्यु को सैन्य सेवा से संबंधित माना जाएगा, और उसके परिजन विशेष पारिवारिक पेंशन पाने के हकदार होंगे।
सलोचना वर्मा के पुत्र की मृत्यु वर्ष 2009 में “रेट्रोपेरिटोनियल सारकोमा विद वाइडस्प्रेड मेटास्टेसिस” नामक कैंसर की बीमारी से हुई थी। वह वर्ष 2003 में सेना में भर्ती हुए थे और छह वर्षों तक सेवा में रहे। भर्ती के समय वह पूर्ण रूप से स्वस्थ थे।
आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ ने 2019 में आदेश दिया था कि यह बीमारी सैनिक की सेवा परिस्थितियों से जुड़ी मानी जाए और उसकी मां को विशेष पारिवारिक पेंशन दी जाए। परंतु केंद्र सरकार ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि मेडिकल बोर्ड ने बीमारी को “सैन्य सेवा से असंबंधित” बताया है, इसलिए पेंशन का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इस पर जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने कहा कि जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है और उस समय स्वस्थ पाया जाता है, तो बाद में होने वाली कोई भी गंभीर बीमारी सेवा से जुड़ी मानी जाएगी, जब तक कि सरकार इसके विपरीत ठोस प्रमाण प्रस्तुत न करे। अदालत ने कहा कि यह मान लेना अनुचित होगा कि इतनी गंभीर बीमारी भर्ती के समय ही मौजूद थी और फिर भी पता नहीं चली।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई बीमारी सेवा के दौरान विकसित होती है, तो यह सैन्य सेवा की परिस्थितियों, तनाव या ड्यूटी के कारण मानी जाएगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कैंसर जैसी बीमारियां, सिवाय उन मामलों के जो धूम्रपान जैसे व्यक्तिगत कारणों से उत्पन्न हों, सामान्यतः सेवा की परिस्थितियों से जुड़ी मानी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा सैनिक के छह वर्षों की सेवा के दौरान उत्पन्न तनाव और कार्य परिस्थितियों को देखते हुए यह निष्कर्ष स्वाभाविक है कि बीमारी सेवा से जुड़ी थी। मेडिकल बोर्ड की राय बिना पर्याप्त कारणों के दी गई थी, इसलिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
अंतत हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए ट्रिब्यूनल का आदेश बरकरार रखा, जिससे कुमारी सलोचना वर्मा को उनके दिवंगत पुत्र की मृत्यु के बाद विशेष पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलेगा।
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