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    हरियाणा में तीन दिनों तक केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों के कार्यालयों पर प्रदर्शन, 6 दिसंबर से होंगे आंदोलन; रूपरेखा तैयार

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 04:56 PM (IST)

    हरियाणा में स्कीम वर्कर्स 6 से 8 दिसंबर तक केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा सांसदों के कार्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। आंगनबाड़ी, आशा और मिड डे मील कर्मचारी ...और पढ़ें

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    हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले स्कीम वर्कर्स हरियाणा में छह से आठ दिसंबर तक केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा सांसदों के कार्यालयों पड़ाव डालेंगे। इस दौरान प्रदर्शन किए जाएंगे और उन्हें अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपे जाएंगे।

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    छह दिसंबर को आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स, सात दिसंबर को मिड डे मील कर्मचारी और आठ दिसंबर को आशा वर्कर्स इन पड़ाव, धरने और प्रदर्शन के कार्यक्रमों में शामिल होंगे। तीन दिवसीय इस आंदोलन की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

    आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की राज्य महासचिव उर्मिला रावत, आशा वर्कर्स यूनियन की राज्य प्रधान सुनीता और मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा के राज्य महासचिव जय भगवान ने बताया कि परियोजनाओं कर्मियों की राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर तीन दिन निरंतर क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शन व पड़ाव कार्यक्रम होंगे।

    करनाल में केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यालय पर होने वाले पड़ाव में सोनीपत, पानीपत, करनाल, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला जिले शामिल होंगे।

    केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुज्जर के फरीदाबाद कार्यालय पर गुरुग्राम, नूंह, पलवल ओर फरीदाबाद जिलों की परियोजनाओं के कर्मचारी आंदोलन में हिस्सेदारी करेंगे। हिसार में हरियाणा सरकार के मंत्री रणबीर गंगवा के कार्यालय पर सिरसा, फतेहाबाद और हिसार जिलों के कर्मचारी आंदोलन करेंगे।

    भिवानी में कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी और सांसद धर्मबीर सिंह के कार्यालयों पर रेवाड़ी, झज्जर, महेंद्रगढ़, रोहतक और भिवानी की स्कीम वर्कर्स हिस्सा लेंगी।

    यूनियन नेताओं ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार एक करोड़ आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील और क्रेच परियोजना कर्मचारियों की अनदेखी कर रही है। लंबे समय से केंद्र सरकार ने स्कीम वर्कर्स के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।



    इन प्रदर्शनों और पड़ावों के माध्यम से मांग की जाएगी कि आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स को तीसरे दर्जे का और मिड डे मील वर्कर्स को चौथे दर्जे का सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये मासिक किया जाए। सभी परियोजना कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और पेंशन सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाएं।

    कर्मचारी नेताओं ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारें हर रोज स्कीम वर्कर्स पर काम का बोझ थोप रही हैं, लेकिन उनके वेतन में बढ़ोतरी नहीं कर रही हैं। इसे लेकर वर्कर्स में भारी गुस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा मजदूर कर्मचारी विरोधी लेबर कोड्स को लागू करने के खिलाफ भी स्कीम वर्कर्स अपने गुस्से का इजहार करेंगी और सरकार से मांग करेंगी कि इन्हें तुरंत वापस लिया जाए।