साइबर सुरक्षा बड़ी चुनौती, देश की सीमाओं की तरह अपना डेटा की भी करें रक्षा, पूर्व थलसेना अध्यक्ष ने चेताया
ज्ञान सेतु थिंक टैंक और सीसीएफ ने आईसीआईसीआई बैंक के सहयोग से वेटरन्स के लिए साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.पी. मलिक ने साइबर सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया। साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के उपाय बताए और डायल 1930 के महत्व पर जोर दिया। हेल्प डेस्क पर पेंशन और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।

जागरण संवाददाता, पंचकूला। पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने साइबर सुरक्षा को आधुनिक समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि जैसे सीमाओं की रक्षा करना जरूरी है आज उसी तरह अपने डेटा की भी सुरक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में हमारा डाटा सुरक्षित नहीं है। साइबर अपराधी प्रतिदिन सेवानिवृत्त अधिकारियों को फोन काॅल्स या मैसेज के जरिये धोखा देकर शिकार बना रहे हैं। सरकारी और निजी वेबसाइट्स के अलावा मोबाइल पर भी साइबर अटैक लगातार बढ़ रहे हैं।
पूर्व थल सेनाध्यक्ष पंचकूला में ऑपरेशन साइबरसिक्योर, डिफेंडिंग योरसेल्फ अगेन्स्ट आनलाइन थ्रेट्स के नाम से आयोजित एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे थे। यह कार्यक्रम विशेष रूप से वेटरन्स और उनके परिजनों को साइबर अपराधों से बचाव की जानकारी देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में सेवानिवृत्त मेजर जनरल अजीत बाजपेयी ने साइबर खतरों के अंतरराष्ट्रीय पहलुओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में दिलदीप सिंह सहित साइबर अपराध विशेषज्ञ पैनलिस्ट के रूप में शामिल हुए।
साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों की अहम जानकारी
सत्र के दौरान साइबर क्राइम पुलिस अधिकारियों ने ऑलाइन फ्राड, फिशिंग, बैंकिंग धोखाधड़ी और सोशल मीडिया पर फैल रहे नए खतरों की जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि किस तरह जालसाज फोन कॉल्स, लिंक और फर्जी वेबसाइट्स के जरिये लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। अधिकारियों ने साफ कहा कि जागरूकता ही इन अपराधों से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।
मेजर जनरल अजीत बाजपेयी ने कहा कि विदेशों से भी लगातार साइबर अपराधी भारतीय नागरिकों और रिटायर्ड डिफेंस पर्सनल को निशाना बना रहे हैं। आतंकवादी संगठन भी साइबर अटैक के अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज़ नहीं होती। हमें केवल अधिकृत वेबसाइट्स से ही ऑनलाइन शापिंग करनी चाहिए और फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर शापिंग से बचना चाहिए।
चंडीगढ़ साइबर शाखा की चेतावनी
चंडीगढ़ साइबर शाखा की इंस्पेक्टर इरम रिजवी ने कहा कि साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं। उन्होंने कई केस स्टडी साझा कीं जिनमें पीड़ितों को झूठे कॉल्स और मैसेज से लाखों रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि साइबर फ्राड से बचने का एकमात्र साधन जागरूकता है। हर कॉल, मैसेज और वेबसाइट को सत्यापित करना जरूरी है।
डायल 1930 का महत्व
हरियाणा पुलिस के डायल 1930 के इंचार्ज इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह ने साइबर अपराध के मामलों में त्वरित कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है तो तुरंत डायल 1930 पर फोन कर अपनी रकम को सुरक्षित कर सकता है। हालांकि, यह केवल निर्धारित समय सीमा के भीतर ही संभव है, इसलिए समय पर शिकायत करना अत्यंत आवश्यक है।
हेल्प डेस्क से वेटरन्स को सुविधा
वेटरन्स और उनके परिजनों की सुविधा के लिए कार्यक्रम स्थल पर हेल्प डेस्क लगाए गए थे। इनमें स्पर्श, ईसीएचएस, एडल्ब्यूपीओ, यू कैंटीन और जैडएसबी से संबंधित जानकारी व मार्गदर्शन उपलब्ध कराया गया। इससे उपस्थित लोगों को न केवल साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी मिली बल्कि वे अपनी अन्य पेंशन और कल्याणकारी योजनाओं से भी अवगत हो सके।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजे सिंह, परमजीत सिंह, अमनदीप राय सहित कई वेटरन्स और उनके परिजन मौजूद रहे। आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना था कि साइबर सुरक्षा अब हर नागरिक की जिम्मेदारी है। जागरूक रहकर, सही समय पर कार्रवाई करके और सुरक्षित डिजिटल आदतें अपनाकर ही हम खुद को और अपने परिवार को इन खतरों से बचा सकते हैं।
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