Updated: Tue, 09 Sep 2025 07:26 PM (IST)
हरियाणा की जेलों में अब कैदियों की पहचान रेटिना और फेस स्कैनिंग से होगी। सरकार ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम लागू करने का फैसला किया है जो पुराने फिंगरप्रिंट सिस्टम से अधिक सटीक है। इससे अपराधियों की पहचान और अपराध रोकने में मदद मिलेगी। रोहतक में हाई सिक्योरिटी जेल जल्द शुरू होगी। प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या अधिक है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रदेश की जेलों में अब आंख के रेटिना और फेस स्कैनिंग से कैदियों की पहचान होगी। प्रदेश सरकार ने कैदियों के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। पुराने फिंगरप्रिंट आधारित सिस्टम की तुलना में यह लेटेस्ट बायोमेट्रिक तकनीक कई गुना अधिक सटीक और भरोसेमंद है।
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जेल महानिदेशक आलोक कुमार राय के अनुसार किसी भी अपराधी का शरीर का कोई भी हिस्सा अगर सीसीटीवी में कैद हो जाता है, तो उसका मिलान तुरंत किया जा सकेगा। इस डेटा का उपयोग स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो और नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से लिंक करके अपराधियों की ट्रैकिंग और अपराध रोकथाम में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह पहल जेलों में सुरक्षा और निगरानी के मानक को ऊंचा करेगी। रेटिना और फेस स्कैनिंग जैसी हाईटेक तकनीक न केवल अपराधियों की पहचान को तेज और सटीक बनाएगी, बल्कि जेल प्रबंधन को भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मदद करेगी। रोहतक में हाई सिक्योरिटी जेल लगभग तैयार हैं।
अगले तीन-चार महीनों में पूरी तरह से आपरेशनल हो जाएगी और इसमें आधुनिक गैजेट्स और सुरक्षा प्रणालियां रहेंगी। इससे कैदियों का किसी भी तरह का बाहरी संपर्क पूरी तरह रोका जा सकेगा। चरखी दादरी, फतेहाबाद और पंचकूला में भी जेल निर्माण के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है, जहां जल्द ही काम शुरू होगा।
जेल विभाग ने ट्रायल के तौर पर फरीदाबाद और करनाल में ‘ओपन जेल’ का कांसेप्ट शुरू किया था जो कामयाब रहा। हालांकि यह सुविधा केवल उन कैदियों के लिए ही है, जिन्हें कम जोखिम की कैटेगरी में रखा गया है। हार्डकोर अपराधियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्रदेश की जेलों में करीब 26 हजार कैदी हैं, जबकि कुल क्षमता केवल 22 हजार की है।
डीजी राय ने कहा कि नई जेलों के निर्माण के बाद यह संख्या संतुलित हो जाएगी और कैदियों को क्षमता के अनुसार रखा जाएगा। पुलिस और जेल विभाग में चल रहे वर्दी और बैज को लेकर विवाद पर उन्होंने कहा कि यह मामला नियमों और गाइडलाइंस के तहत सुलझाया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राजपत्रित अधिकारियों की यूनियन नहीं होती। उनसे अनुशासन की पूरी उम्मीद की जाती है। इस मामले में जो भी प्वाइंट उठाए जाएंगे, उन्हें विशेषज्ञ डेस्क द्वारा नियमों और अन्य बलों के उदाहरणों के आधार पर देखा जाएगा।
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