प्रिंस हत्याकांड: DSP समेत 4 पुलिसकर्मियों पर चलेगा मुकदमा, बस कंडक्टर के खिलाफ तैयार किए थे झूठे दस्तावेज; CBI कोर्ट का बड़ा फैसला
पंचकूला की सीबीआई अदालत ने प्रिंस हत्याकांड में चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। इन अधिकारियों पर निर्दोष व्यक्ति को झूठे मामले में फंसाने और दस्तावेजों में जालसाजी करने का आरोप है। अदालत ने धारा 166ए 167 194 330 506 व 120B के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। आरोपियों को 15 जुलाई 2025 को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है।

जागरण संवाददाता, पंचकूला। सीबीआई की विशेष अदालत ने बहुचर्चित प्रिंस (काल्पनिक नाम) हत्याकांड मामले में चार पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की गंभीर धारा 166ए, 167, 194, 330, 506 व 120B के अंतर्गत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है।
विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई) डॉ. अनिल कुमार यादव ने आदेश पारित करते हुए कहा कि इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक निर्दोष व्यक्ति को झूठे मामले में फंसाने के लिए षड्यंत्र रचकर दस्तावेजों में जालसाजी की। आरोपितों में तत्कालीन निरीक्षक नरेंद्र सिंह खटाना, तत्कालीन एसीपी बीरम सिंह, तत्कालीन उप निरीक्षक शमशेर सिंह और तत्कालीन ईएसआई सुभाष चंद शामिल हैं।
मामला वर्ष 2017 में गुड़गांव के एक निजी स्कूल में छात्र प्रिंस की हत्या से संबंधित है, जिसमें स्कूल बस के कंडक्टर अशोक कुमार को प्रारंभ में अभियुक्त बनाया गया था। बाद में मामले की जांच हरियाणा पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई।
जांच में सामने आया कि पुलिस अधिकारियों ने जानबूझकर साक्ष्यों को तोड़ा-मरोड़ा, जबरन स्वीकारोक्ति दर्ज कराई और असली अपराधी को बचाने का प्रयास किया।
सीबीआई ने जांच के दौरान यह प्रमाणित किया कि एसआई शमशेर सिंह, इंस्पेक्टर नरेंद्र खटाना, एसीपी बीरम सिंह व ईएसआइ सुभाष चंद ने अशोक कुमार के विरुद्ध झूठे दस्तावेज़ तैयार किए।
न्यायालय ने कहा कि इन अधिकारियों ने अपने पद का उपयोग कर साक्ष्य गढ़े, निर्दोष व्यक्ति को यातना देकर झूठे अपराध कबूल करवाए और हत्या जैसे गंभीर अपराध में फंसाया, जो किसी भी प्रकार से उनके अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं हो सकता। न्यायालय ने चारों अभियुक्तों के विरुद्ध समन जारी कर 15 जुलाई 2025 को उपस्थित होने का आदेश दिया है।
लागू धाराएं
- धारा 166A – कानून का उल्लंघन करते हुए सरकारी कार्यवाही में दुरुपयोग।
- धारा 167 – किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचाने हेतु झूठा दस्तावेज़ बनाना।
- धारा 194 – मृत्युदंड योग्य अपराध में दोष सिद्ध कराने हेतु झूठा साक्ष्य गढ़ना।
- धारा 330 – जबरन अपराध कबूल कराने हेतु शारीरिक क्षति पहुंचाना।
- धारा 506 – आपराधिक धमकी देना।
- धारा 120B – आपराधिक षड्यंत्र।

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