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हरियाणा में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों की प्री-मैट्रिक छात्रवृति बंद, सुरजेवाला ने सरकार को घेरा

हरियाणा में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पहली से आठवीं तक के बच्चों की प्री मैट्रिक स्कालरशिप बंद कर दी गई है। अब सिर्फ नौवीं और दसवीं के छात्र-छात्राओं को ही योजना का लाभ मिलेगा। रणदीप सुरजेवाला ने इसे गरीबों से अन्याय बताया है।

By Jagran NewsEdited By: Kamlesh BhattPublished: Wed, 30 Nov 2022 10:05 AM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 10:05 AM (IST)
हरियाणा में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों की प्री-मैट्रिक छात्रवृति बंद, सुरजेवाला ने सरकार को घेरा
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के स्कूलों में पढ़ रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पहली से आठवीं तक के बच्चों को अब प्री-मैट्रिक छात्रवृति का लाभ नहीं मिलेगा। मौजूदा शैक्षिक सत्र से सिर्फ नौवीं और दसवीं के विद्यार्थी ही प्री-मैट्रिक छात्रवृति के पात्र होंगे।

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केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों के मुताबिक शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा पहली से आठवीं) प्रदान करना सरकार के लिए अनिवार्य बनाता है। इसके चलते केवल कक्षा नौवीं और दसवीं में पढ़ने वाले छात्रों को ही सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत कवर किया जाता है।

इसी तरह वर्ष 2022-23 से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत भी केवल कक्षा नौवीं और दसवीं के छात्रों को इसका लाभ दिया जाएगा।

वहीं, कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे गरीब बच्चों का शिक्षा का अधिकार खत्म करना करार दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के पहली से आठवीं तक का प्री-मैट्रिक वजीफा खत्म कर गलत किया है। इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

चार साल से हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग के गठन का इंतजार

हरियाणा में चार साल से हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग के गठन का इंतजार है। हरियाणा विधानसभा में कानून पारित होने के बाद 30 नवंबर 2018 को हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। तब से अभी तक हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं हो पाया है।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में भी 10 अक्टूबर 2013 को एक अधिसूचना द्वारा हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना की गई थी। अगस्त 2014 में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष फूल चंद मुलाना को इसका चेयरमैन बनाते हुए अन्य सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई थी, जबकि विधानसभा केवल दो महीने दूर थे। इसी कारण इन नियुक्तियों को राजनीतिक तौर पर देखा गया।

अक्टूबर 2014 में जैसे ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार बनी, ठीक दो महीने बाद आयोग को भंग कर दिया गया। हालांकि मुलाना ने इसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती भी दी थी, लेकिन दिसंबर 2016 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। तभी से हरियाणा में अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं हो पाया है।


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