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हिमाचल हाई कोर्ट से हरियाणा के निवर्तमान विधायक प्रदीप चौधरी को बड़ी राहत, सजा पर लगाई रोक

हिमाचल हाई कोर्ट से कालका विधायक रहे प्रदीप चौधरी को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने प्रदीप चौधरी की सजा पर रोक लगा दी है। सजा के कारण स्पीकर की सिफारिश पर हरियाणा चुनाव आयोग कालका को रिक्त सीट घोषित कर चुका है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 09:31 AM (IST)
हिमाचल हाई कोर्ट से हरियाणा के निवर्तमान विधायक प्रदीप चौधरी को बड़ी राहत, सजा पर लगाई रोक
कालका के विधायक रहे प्रदीप चौधरी की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। हिमाचल हाईकोर्ट ने हरियाणा में कालका के निवर्तमान कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को राहत देते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी है। इस मामले में हिमाचल पुलिस से जहां रिकार्ड तलब कर लिया गया है, वहीं हरियाणा चुनाव आयोग विधानसभा की सिफारिश पर कालका को रिक्त सीट घोषित कर चुका है।

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प्रदीप चौधरी द्वारा हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश स्पीकर को सौंपने के बाद इस सीट के बारे में अगला कोई फैसला लिया जा सकता है। हिमाचल के थाना बरोटीवाला में 31 मई 2011 को ट्रैफिक चैकिंग के दौरान पपलोहा निवासी सुच्चा सिंह बिजली ट्रांसफार्मर की चपेट में आ गया था। इससे उसकी मौत हो गई। इस घटना से गुस्साए परिजनों ने लाश को सड़क पर रखकर बद्दी के निकट जाम लगाया था। प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया था, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। एक बस को आग भी लगा दी गई थी।

आरोप है कि प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व प्रदीप चौधरी कर रहे थे। 13 जून 2011 को बद्दी पुलिस थाने में रास्ता रोकने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में नालागढ़ की अदालत ने बीती 14 जनवरी को प्रदीप चौधरी के अलावा 14 अन्य लोगों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा और 85-85 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

इस फैसले के आधार पर हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने चुनाव आयोग को कालका विधानसभा सीट को रिक्त घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर आयोग ने 30 जनवरी को यह सीट रिक्त घोषित कर दी। अब हाई कोर्ट द्वारा निचली अदालत के फैसले पर स्टे दिए जाने के बाद हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा कालका सीट को रिक्त घोषित किए जाने को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बताया जाता है कि प्रदीप चौधरी जब हाईकोर्ट के फैसले की प्रति स्पीकर को उपलब्ध कराएंगे तो उसे कानूनी तौर पर एग्जामिन कराया जाएगा। उसके बाद स्पीकर कोई निर्णय लेंगे।


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