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शामलात जमीनों से हटाए जाएंगे कब्जे, नाम करवाने वालों पर दर्ज होगी एफआइआर

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद शामलात जमीनों पर कब्जे करने के बाद उन्हें पटवारी कानूनगो और तहसीलदारों के साथ मिलीभगत करके अपने नाम करवाने वालों को बड़ा झटका लगा है। पंचकूला जिले में भी कई गांवों में शामलातों जमीनों पर अवैध तौर पर कब्जे करके उन्हें भूमाफिय ने अपने नाम करवा रखा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 07:09 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 07:09 PM (IST)
शामलात जमीनों से हटाए जाएंगे कब्जे, नाम करवाने वालों पर दर्ज होगी एफआइआर
शामलात जमीनों से हटाए जाएंगे कब्जे, नाम करवाने वालों पर दर्ज होगी एफआइआर

राजेश मलकानियां, पंचकूला

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सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद शामलात जमीनों पर कब्जे करने के बाद उन्हें पटवारी, कानूनगो और तहसीलदारों के साथ मिलीभगत करके अपने नाम करवाने वालों को बड़ा झटका लगा है। पंचकूला जिले में भी कई गांवों में शामलातों जमीनों पर अवैध तौर पर कब्जे करके उन्हें भूमाफिय ने अपने नाम करवा रखा है। कुछ मामले अधिकारी या न्यायालयों में भी विचाराधीन हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने इन सभी मामलों में फैसला दिया है कि जो जमीन कभी भी शामलात देह थी और लोगों ने 13ए में बिना किसी मालिकाना हक के जमीन अपने नाम कर ली, वह भी वापिस पंचायत के नाम की जाए। यदि जो शामलात जमीन पंचायत से नगर निगम या परिषद में आ गई है, उसे निगम या परिषद के नाम करवाया जाए। इतना ही जिन लोगों ने अपने नाम करवाया है, उनके नाम भी रेवेन्यू रिकार्ड से हटाए जाएंगे और साथ ही केस भी दर्ज हो सकते हैं।

जय सिंह बनाम स्टेट्स में शामलात जमीन केस में सात अप्रैल 2022 जजमेंट दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भूमि सीलिग कानूनों के तहत मालिक की अनुमेय सीमा का हिस्सा बनने वाली भूमि के संबंध में, प्रबंधन और नियंत्रण पंचायत के पास है। न तो 1961 का अधिनियम और न ही 1948 का अधिनियम मालिकों को भूमि के पुनर्वितरण पर विचार करता है। यह एक अपरिवर्तनीय कार्य है, जिसे पूर्ववत नहीं किया जा सकता है। इसलिए, एक बार पंचायत के पास भूमि निहित हो जाने के बाद इसका उपयोग समुदाय के सामान्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और कभी भी मालिकों को वापस नहीं किया जाएगा। कोर्ट के आदेश में माना गया कि 1992 का अधिनियम संख्या 9, संशोधन अधिनियम वैध है और संवैधानिक दुर्बलता के किसी भी दोष से ग्रस्त नहीं है। आनुपातिक कटौती लागू करके सामान्य उद्देश्यों के लिए आरक्षित पूरी भूमि का उपयोग ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम समुदाय की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों के लिए किया जाना था और भूमि के किसी भी हिस्से को मालिकों के बीच पुर्न विभाजित नहीं किया जा सकता था। राज्य और पंचायतों द्वारा दायर की गई अपीलों को स्वीकार किया जाता है और मालिकों द्वारा दायर की गई अपीलों को खारिज कर दिया गया।

पंचकूला के डीसी महावीर कौशिक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जितनी भी शामलात जमीनें हैं, वह पंचायत या नगर निगम / परिषद के पास चली जाएंगी। पहले रेवेन्यू अधिकारियों से मिलकर जिन लोगों ने शामलात जमीनों को अपने नाम करवा लिया है और उनको आगे बेच भी दिया है, तो ऐसी जमीनों के बारे में भी सरकार के निर्देश आ गए हैं कि पंचायत विभाग इन जमीनों को ग्राम पंचायतों के नाम करवाने की कार्रवाई करे। रेवन्यू रिकार्ड में से उन लोगों का नाम भी हटाया जाएगा, जिन्होंने शामलात जमीन अपने नाम करवा लिया। कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। कई जमीनों की तकसीम और मोटेशन भी करवाने की अभी भी कोशिश कर रहे लोगों को भी जांच की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शामलात जमीनों के संबंध में सबसे अहम है।


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