IPS पूरन कुमार आत्महत्या पर राजनीति, सैलजा-सुरजेवाला और हुड्डा ने उठाए सवाल; नायब सरकार पर साधा निशाना
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्ष ने सरकार पर उच्च स्तरीय जांच का दबाव बनाया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, और अन्य नेताओं ने निष्पक्ष जांच की मांग की है, दोषियों को सज़ा देने और जातिगत भेदभाव के आरोपों की जांच करने की बात कही है।
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IPS पूरन कुमार आत्महत्या पर विपक्ष का नायब सरकार पर हमला। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या अब राजनीतिक मुद्दा बन गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस सांसद और महासचिव कुमारी सैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद वरुण मुलाना और विधायक गीता भुक्कल ने सिस्टम पर सवाल उठाया है। सांसद-विधायकों ने कहा कि जब पुलिस के इतने बड़े अधिकारी सुरक्षित नहीं है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों की क्या हालत होगी
दोषी को बख्शा न जाए और निर्दोष पर नहीं आए आंच: हुड्डा
आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाना चाहिए और किसी निर्दोष पर आंच नहीं आनी चाहिए। इस मामले में न्याय सुनिश्चित करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। आज प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। इतने बड़े पुलिस अधिकारी का सुसाइड करना बेहद दुखद है। इस घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है।
-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता
सिस्टम कमजोर या पूर्वाग्रह से ग्रस्त: सुरजेवाला
क्या हरियाणा सरकार का सिस्टम इतना कमजोर या पूर्वाग्रह से ग्रस्त है कि एक सीनियर आइपीएस अधिकारी की भी न सुनवाई होती और न न्याय मिलता। पिछले ग्यारह वर्षों में विशेषत: दलित अधिकारियों और कर्मियों को भेदभावपूर्ण तरीके से दरकिनार किया गया है और अपमानित भी। उम्मीद है कि चंडीगढ़ प्रशासन व देश का गृह मंत्रालय वाई पूरन कुमार की आइएएस अधिकारी पत्नी की बात सुनेगा और न्याय देगा।
जातिगत भेदभाव की भयावह झलक: सैलजा
यह केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि उस संस्थागत असंवेदनशीलता और जातिगत भेदभाव की भयावह झलक है, जो भाजपा शासन में लगातार गहराती जा रही है। वर्ष 2020 से लगातार जातिसूचक अपमान, मानसिक उत्पीड़न और अन्याय झेलते हुए अंततः एक अधिकारी को अपनी जान गंवानी पड़ी। पूरे प्रकरण की निष्पक्ष, स्वतंत्र और उच्च स्तरीय जांच अनिवार्य है ताकि दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
-कुमारी सैलजा, कांग्रेस सांसद और महासचिव।
निष्पक्ष जांच के लिए बने न्यायिक कमेटी : वरुण चौधरी
बड़े ओहदों पर बैठे अधिकारी अनुसूचित जाति के अधिकारियों को प्रताड़ित कर रहे हैं, जिससे वे मानसिक तनाव में हैं। वाई पूरन कुमार द्वारा सुसाइड नोट में जिन उच्चाधिकारियों का नाम लिखा है, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। साथ ही उनके घर से मिले तमाम दस्तावेज सुरक्षित रहें, इसको लेकर हाई कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक कमेटी गठित करनी चाहिए, ताकि हर पहलू की निष्पक्ष जांच हो।
समाज और सरकार के लिए चिंता का विषय: गीता भुक्कल
एक वरिष्ठ और काबिल दलित आइपीएस अधिकारी की आत्महत्या समाज और सरकार के लिए चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री नायब सैनी मामले की गंभीरता और परिवार की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सुनिश्चित करें कि आत्महत्या के कारणों की पूरी तरह निष्पक्ष जांच हो। यह पूरी तरह स्पष्ट होना चाहिए कि यह आत्महत्या है या हत्या।
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