हरियाणा: प्रोबेशन अवधि पूरी होते ही पुलिस अधिकारी माने जाएंगे डीम्ड कंफर्म, कंफर्मेशन विवाद पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस के सब-इंस्पेक्टरों की कन्फर्मेशन तिथि पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रोबेशन अवधि पूरी होने पर अधिकारी स्वतः ही "डीम्ड कन्फर्म" माने जाएंगे, बशर्ते उनकी प्रोबेशन अवधि न बढ़ाई गई हो। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है, जिससे कई अधिकारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।

कंफर्मेशन विवाद पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला। सांकेतिक फोटो
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टरों की कन्फर्मेशन तिथि को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि पंजाब पुलिस नियम 13.18 के तहत प्रोबेशन अवधि पूरी होते ही अधिकारी स्वत “डीम्ड कन्फर्म” माने जाएंगे, बशर्ते न तो उनकी प्रोबेशन (परिवीक्षा) अवधि बढ़ाई गई हो और न ही उन्हें मूल पद पर वापस भेजा गया हो। जस्टिस जगमोहन बंसल ने नरेश कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को तीन माह के भीतर उचित कार्रवाई करने को कहा।मामला गुरुग्राम रेंज के पांच सब इंस्पेक्टरों का था, जो वर्ष 2001 में एएसआई से एसआई पद पर प्रमोट हुए थे। उन्होंने अदालत को बताया कि नियमों के अनुसार उनकी दो वर्ष की प्रोबेशन अवधि अगस्त 2003 में पूरी हो गई थी, लेकिन उन्हें कन्फर्मेशन अगस्त 2006 में दी गई, वह भी उस समय जब स्थायी पद उपलब्ध हुए।
इससे उनकी सीनियरिटी और बाद की पदोन्नति विशेषकर इंस्पेक्टर और डीएसपी पद प्रभावित हुई। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि अंबाला रेंज के उनके बैचमेट, जो उसके बाद प्रमोट हुए थे, उन्हें वर्ष 2004 में ही कन्फर्म कर दिया गया, जबकि वे समान परिस्थितियों में थे।राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गुरुग्राम रेंज में उस समय केवल अस्थायी पद उपलब्ध थे, इसलिए स्थायी रिक्ति आने पर ही कन्फर्मेशन दी जा सकती थी।
लेकिन अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस नियम 13.18 में कन्फर्मेशन को स्थायी पदों की उपलब्धता से जोड़ने का कोई परविधान नहीं है। नियमों के अनुसार, प्रोबेशन अधिकतम तीन वर्ष है, और उसके बाद न विस्तार हो और न रिवर्जन, तो अधिकारी को स्वत कन्फर्म माना जाएगा।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि जब नियम किसी अतिरिक्त शर्त, परीक्षा या संतुष्टि प्रमाणपत्र की अपेक्षा नहीं करते, तो मात्र औपचारिक आदेशों में देरी से अधिकारी का अधिकार प्रभावित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अलग अलग रेंजों में कन्फर्मेशन की विभिन्न प्रणालिया समान परिस्थितियों वाले अधिकारियों के बीच भेदभाव उत्पन्न करती हैं, जो अस्वीकार्य है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं की कन्फर्मेशन तिथि उनकी प्रोबेशन समाप्ति की तिथि से प्रभावी मानी जाए और इसके अनुरूप सभी सीनियरिटी एवं वित्तीय-पदोन्नति लाभ तीन माह में प्रदान किए जाए।इस फैसले से हरियाणा पुलिस में उन कई अधिकारियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जिनकी कन्फर्मेशन स्थायी पदों के इंतजार में वर्षों तक अटकी रही थी।

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