हरियाणा में सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल, वैट में कमी संभव, बजट में मिलेगी बड़ी राहत
हरियाणा में पेट्रोल-डीजल सस्ते हो सकते हैं। हरियाणा के बजट में राज्य सरकार पेट्रो पदार्थों पर वैट की दर कम कर सकती है। इसके संकेत मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने दी है। इससे राज्य के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के लोगों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जल्द ही राहत मिल सकती है। राज्य में पेट्रोल और डीजल सस्ते हो सकते हैं। हरियाणा सरकार पेट्रो पदार्थों पर वैट की दर घटाने पर विचार कर रही है और इसकी घोषणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल राज्य के सालाना बजट में कर सकते हैं।
हरियाणा में पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतों, राज्य पर लगातार बढ़ रहे कर्ज और बिजली चोरी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आंकड़ों के साथ विपक्ष को करारा जवाब दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल और डालर के एक्सचेंज रेट के हिसाब से पेट्रोल व डीजल के रेट में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होने का दावा किया है, लेकिन साथ ही बजट में पेट्रो पदार्थों पर वैट में कमी कर पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी लाने का संकेत दिया है।
सीएम मनोहरलाल और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।
बजट से पहले ही मनोहर लाल ने आंकड़ों के हिसाब से हुड्डा को दिया जवाब
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कर्ज लेने के मामले में आंकड़ों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की घेराबंदी की। यह मुद्दा विधानसभा के बजट सत्र में उठने वाला था, लेकिन मनोहर लाल ने विधानसभा के बाहर पहले ही जवाब दे दिया है। मनोहर लाल ने कहा कि हुड्डा अपने कार्यकाल के 60 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में बिजली निगमों के 38 हजार करोड़ रुपये का कर्ज जोड़कर नहीं बताते। हमने अपनी सरकार द्वारा लिए गए कर्ज में इस राशि को जोड़ा हुआ है। बहरहाल प्रदेश की जीडीपी लगातार बढ़ रही है और बढ़ती जीडीपी के हिसाब से प्रदेश के विकास के लिए कर्ज लेना अच्छी बात है।
चोरी रुकी तो बिजली की सब्सिडी घटी
मुख्यमंत्री ने दो दिन चले बिजली चोरी रोकने के अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि धीरे-धीरे कृषि के क्षेत्र में बिजली की सब्सिडी राशि कम हो रही है। पहले यह 7200 करोड़ रुपये थे। अब 5500 करोड़ रुपये पर आ गई है। सब्सिडी कम होने की वजह बिजली चोरी की रोक, कृषि के क्षेत्र में सौर ऊर्जा संचालित नलकूप का आगमन तथा खेतों में माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट का बढऩा है। आगे भी सरकार का जोर माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट लगाने तथा सौर ऊर्जा संचालित उपकरणों को लगाने पर रहेगा।
मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बिजली निगमों पर अब मात्र पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज रह गया है। बिजली निगमों का अधिकतर कर्ज राज्य सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। अब कर्ज की जितनी राशि बची है, उसे बिजली निगम अपने लाभ में से उतारेंगे। यह पहली बार है कि राज्य के बिजली निगम अब लाभ की स्थिति में पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहींहै। इसलिए वह पेट्रो पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी की बात करता है।
मनोहर लाल के अनुसार 2014 में पेट्रोल 73 रुपये, 2015 में 71, 2016 में 66 रुपये, 2017 में 71 रुपये, 2018 में 78 रुपये, 2019 में 74 रुपये और 2020 में 80 रुपये हुआ। 2018 में 84 रुपये लीटर भी पेट्रोल बिका। छह साल में 66 रुपये से 84 रुपये के बीच पेट्रोल बढ़ा। इसी तरह डालर के एक्सचेंज रेट बदलते रहे। एक्सचेंज रेंट 33 प्रतिशत तक चला गया। इतनी ही कीमतें बढ़ी। इन दोनों आंकड़ों के हिसाब से पिछले छह सालों डालर एक्सचेंज रेट और पेट्रो पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी बराबर चल रहे हैं।
कहा- प्रदेश की जीडीपी को भी देख लें हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का जवाब देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि वे 98 हजार करोड़ के अपने कार्यकाल के कर्ज को 60 हजार करोड़ बताते हैं। 38 हजार करोड़ का झूठ बताते हैं। हमारे कार्यकाल में प्रदेश की जीडीपी बढ़ी है। उस समय जीडीपी 3 लाख 99 हजार करोड़ रुपये की थी। आज छह साल के बाद 8 लाख 58 हजार रुपये है।
उन्होंने कहा कि हमारा कर्ज सीमा में है। एक लाख 98 हजार 700 करोड़ रुपये का कर्ज है हमारा। हम कर्ज लेने की सीमा के दायरे में हैं। वार्षिक कर्जा लेने की लिमिट तीन प्रतिशत है। केंद्र ने इसे बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दी है। फिर भी हम तीन प्रतिशत से ज्यादा में नहीं गए हैं।
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