हरियाणा: अधूरी जानकारी वाली याचिकाओं पर नहीं होगी सुनवाई, हाईकोर्ट का सख्त रुख
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की सेवा संबंधी याचिकाओं की फाइलिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पदनाम और तैनाती स्थल बताए बिना दायर याचिकाएं ...और पढ़ें

अधूरी जानकारी वाली याचिकाओं पर नहीं होगी सुनवाई- हाईकोर्ट
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की सेवा संबंधी याचिकाओं की फाइलिंग को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ताओं का पदनाम और वर्तमान या अंतिम तैनाती स्थल बताए बिना दायर की गई याचिकाओं पर अब सुनवाई नहीं होगी। यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। ऐसी याचिकाओं पर हाईकोर्ट रजिस्ट्री औपचारिक रूप से आपत्ति दर्ज करेगी।
हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर बताया कि यह अनिवार्यता 21 नवंबर को पारित एक न्यायिक आदेश के आधार पर लागू की गई है, जिसे चीफ जस्टिस के आदेश से प्रशासनिक रूप में अमल में लाया गया है।
आदेश में कहा गया है कि सभी सेवा मामलों में याचिकाकर्ताओं का पदनाम और उनका कार्यस्थल या सेवानिवृत्ति की स्थिति में अंतिम तैनाती स्थल पक्षकारों के विवरण में स्पष्ट रूप से दर्ज होना आवश्यक होगा।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इन अनिवार्य विवरणों का उल्लेख नहीं किया गया तो फाइलिंग के समय ही “डीआरआर सेक्शन” द्वारा आपत्ति उठा दी जाएगी और याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।
यह मामला एक याचिका से जुड़ा है, जिसमें 137 याचिकाकर्ताओं ने सेवा संबंधी मामला दायर किया था। पीठ ने पाया कि याचिका के मेमो आफ पार्टीज में न तो याचिकाकर्ताओं के पदनाम दर्ज थे और न ही उनकी तैनाती का स्थान दर्ज है। इस पर कार्यवाही को स्थगित करते हुए आवश्यक सुधार के निर्देश दिए गए।
हाई कोर्ट के जस्टिस नमित कुमार ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की कमियां अक्सर सामने आती हैं और इनके कारण प्रतिवादियों द्वारा लिखित बयान दाखिल करने में अनावश्यक देरी होती है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के संबंध में केवल आवासीय पता दिया जाता है, जबकि उनके पद और अंतिम तैनाती का कोई उल्लेख नहीं होता।
वर्तमान मामला भी ऐसा ही एक उदाहरण है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को संशोधित मेमो आफ पार्टीज दाखिल करने का अवसर देते हुए रजिस्ट्री को स्पष्ट निर्देश दिए कि भविष्य में अधूरी जानकारी वाली कोई भी सेवा याचिका स्वीकार न की जाए।

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