'यूएलबी नाॅट कनेक्टड' से जूझते रहे संपत्ति विक्रेता और खरीदार, पंचकूला में पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम ठप
पंचकूला में पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम तकनीकी खामियों के चलते ठप हो गया। 'यूएलबी नाॅट कनेक्टड' एरर के कारण लोग दस्तावेज अपलोड नहीं कर पा रहे हैं। पुराने सिस्टम को बहाल करने की मांग उठ रही है, क्योंकि नया सिस्टम अभी तक सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा है। सरकार से सुधार करने और पुराने सिस्टम को जारी रखने का आग्रह किया गया है।

तकनीकी खामियों के कारण नहीं हो पाई रजिस्ट्री, लोग निराश होकर घर लौटे।
राजेश मलकानियां, पंचकूला। पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम सोमवार से शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन तकनीकी खामियों के कारण ठप रहा। डॉक्यूमेंट राइटर्स ने कई बार खरीदारों और विक्रेताओं के कागजात अपलोड करने का प्रयास किया, लेकिन हर बार सिस्टम पर 'यूएलबी नाॅट कनेक्टड' का एरर दिखता रहा।
इससे रजिस्ट्री करवाने आए लोग कई लोग घंटों इंतजार के बाद निराश होकर लौट गए। दस्तावेज अपलोड न होने से अधिकारी और कर्मचारी खाली बैठे रहे। तहसील कार्यालय में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा।
लोगों का कहना है कि जब तक नया पेपरलैस सिस्टम पूरी तरह तैयार और स्थिर नहीं हो जाता, तब तक पुराने सिस्टम को जारी रखा जाना चाहिए, ताकि आम जनता को परेशानी न झेलनी पड़े।
डाॅक्यूमेंट राइटर्स ने भी प्रशासन से आग्रह किया कि तकनीकी सुधार होने तक पुरानी व्यवस्था को अस्थाई रूप से बहाल किया जाए, ताकि रजिस्ट्री कार्य सुचारू रूप से चल सके। मोरनी, कालका और बरवाला में भी रजिस्ट्री नहीं हो पाई।
सरकार द्वारा लागू किए गए पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम को अव्यवहारिक बताया है। सरकार की मंशा तो अच्छी है, लेकिन इसे बिना पूरी तैयारी के लागू कर दिया गया, जिसके चलते पहले दिन रजिस्ट्री कार्य पूरी तरह ठप हो गया है। पुराने सिस्टम को बंद कर दिया गया है, जबकि नया सिस्टम अभी तक सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाया है।
-सुनील साहनी, चेयरमैन, पंचकूला प्राॅपर्टी डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन
तहसीलदारों को केवल सिस्टम पर काम शुरू करने के लिए समय निर्धारित किया गया है। अब रजिस्ट्री प्रक्रिया में दस्तावेज पहले की तरह कागज पर तैयार होंगे, साथ ही उन्हीं दस्तावेजों की एंट्री आनलाइन पोर्टल में की जाएगी। रजिस्ट्री आमतौर पर अब लगभग 5 से 6 पेज की होती है, जिसे संबंधित अधिकारी सिस्टम में अपलोड करेंगे और उसकी प्रति रिकार्ड के लिए रखी जाएगी, लेकिन इसे व्यवस्थित ढंग से किसी एक तहसील में प्रयोग लाना चाहिए था। जब भौतिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं होंगे, तो उनकी सत्यता जांचने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र निर्धारित किया जाए।
-सुरेश अग्रवाल, प्रधान, हरियाणा प्राॅपर्टी कंसल्टेंट फेडरेशन
पोर्टल पर लगातार तकनीकी खामियां सामने आ रही हैं, डाक्यूमेंट्स सबमिट नहीं हो पा रहे और सिस्टम अपडेट नहीं है। यह स्थिति कम से कम अगले 10 दिनों तक बनी रहेगी। जब तक नया सिस्टम पूरी तरह से कारगर नहीं हो जाता, तब तक पुराना सिस्टम समानांतर रूप से चालू रहना चाहिए ताकि लोगों को परेशानी न हो।
-सतपाल अरोड़ा, सेक्टर-11 पंचकूला
सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि पुराने स्टांप पेपर केवल 15 नवंबर तक ही मान्य होंगे, लेकिन एचएसवीपी और एचएसआईडीसी से कंवींस डीड तैयार होने में एक से डेढ़ महीने का समय लगता है। ऐसे में यह आदेश व्यावहारिक नहीं है और सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। बड़ी रकम की प्रापर्टी डील्स के लिए यूपीआइ भुगतान व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि दैनिक सीमा निर्धारित होती है। ऐसे मामलों के लिए वैकल्पिक भुगतान माध्यम उपलब्ध कराए जाएं।
-अंकुश निषाद
पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड होने के बाद ही स्टांप ड्यूटी जमा करने के लिए लिंक मिलता है, लेकिन अधिकांश लोग नेट बैंकिंग का उपयोग नहीं करते। बैंकिंग सीमाओं के कारण वे केवल एक से दो लाख रुपये तक ही भुगतान कर पाते हैं। जबकि कई रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी की राशि 10 लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक होती है। ऐसे में लोगों को आनलाइन भुगतान में भारी दिक्कतें आएंगी। ऐसे नागरिक जो बीमार, वृद्ध या डिजिटल माध्यमों का प्रयोग करने में असमर्थ हैं, उनके लिए मैन्युअल या सहायक पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
-अनुराग पुरी
नए सिस्टम में रजिस्ट्री के बाद किसी को भी फिजिकल दस्तावेज नहीं मिलेंगे। केवल एक पीडीएफ फाइल उपलब्ध कराई जाएगी। इससे संपत्ति की सत्यापन प्रक्रिया जटिल हो जाएगी। जब तक खरीदार या विक्रेता के पास असली कागजात नहीं होंगे, किसी भी संपत्ति की वैधता की जांच मुश्किल होगी। बैंक या ऋण के लिए रजिस्ट्री की मूल प्रति मांगते हैं। पेपरलेस सिस्टम में इस आवश्यकता को कैसे पूरा किया जाएगा, इस पर दिशा-निर्देश दिए जाएं।
-सुनील तनेजा
बैंकिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठेंगे, क्योंकि लोन लेने वाले लोग अपने असली दस्तावेज बैंक में जमा कराते हैं। अब जब कोई फिजिकल डाॅक्यूमेंट नहीं रहेगा, तो बैंक अपने रिकार्ड में क्या रखेगा—इस पर भी सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सरकार से आग्रह है कि जब तक पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम पूरी तरह से स्थिर और सुचारू नहीं हो जाता, तब तक पुराना सिस्टम चालू रखा जाए, ताकि आम जनता और प्राॅपर्टी डीलर्स को राहत मिल सके।
-अमित वर्मा
इस नए सिस्टम के क्रियान्वयन में आ रही कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों और अनसुलझे मुद्दे सामने आए हैं। जब तक नए सिस्टम में सभी सुधार और अपडेट्स नहीं हो जाते, तब तक पुरानी रजिस्ट्री प्रक्रिया को समानांतर रूप से जारी रखा जाए ताकि कामकाज बाधित न हो।
राजेश ढांडा, प्रधान, पंचकूला प्राॅपर्टी डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन

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