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    पंचकूला में धड़ल्ले से अवैध खनन, प्रदूषण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, मानव अधिकार आयोग के कड़े रुख से हड़कंप 

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 06:14 PM (IST)

    पंचकूला में अवैध खनन पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए 30 दिन में बिना सू ...और पढ़ें

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    अवैध खनन पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। पंचकूला जिले में अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है और पर्यावरण से खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। पिंजौर–नालागढ़ रोड, मल्लाह रोड, रायपुर रानी, मोरनी, बरवाला और चंडीमंदिर जैसे संवेदनशील इलाकों में चल रही अवैध गतिविधियों की रिपोर्ट सामने आने के बाद हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) की कार्यप्रणाली पर कड़ा प्रहार किया है। 

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    30 दिन में एक बार बिना किसी सूचना के निरीक्षण करने समेत अन्य निर्देश दिए हैं। अन्य विभागों से भी विस्तृत रिपाेर्ट मांग ली है। आयोग के कड़े रुख से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है।

    जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता में सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया के साथ गठित पूर्ण आयोग ने प्रदूषण बोर्ड की भूमिका पर गहरी नाराज़गी जताई। आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि अवैध खनन केवल पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के स्वास्थ्य, जीवन और मूल मानव अधिकारों को भी सीधे तौर पर कुचल रहा है।

    स्टोन क्रशर से ईंट भट्टों तक नियमों की धज्जियां

    आयोग की जांच में खुलासा हुआ है कि स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, ईंट भट्टों और खनन इकाइयों में पर्यावरणीय नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। अनिवार्य दोहरी हरित पट्टी का अभाव, धूल नियंत्रण के इंतजाम न के बराबर, जल छिड़काव और स्मॉग गन जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं की कमी ने हालात को और गंभीर बना दिया है।

    निरीक्षण सिर्फ नोटिस के बाद, निगरानी नदारद

    आयोग के 19 अगस्त 2025 के आदेश के अनुपालन में मिली कार्रवाई रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आयोग ने चौंकाने वाली टिप्पणी की। आयोग ने कहा कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी नियमित औचक निरीक्षण और सतत निगरानी करने में पूरी तरह विफल रहे। अधिकांश निरीक्षण केवल कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही किए गए, जिससे पूरी प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

    ये लापरवाही भी आई सामने

    • रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई इकाइयों में पुनर्चक्रण टैंकों का रखरखाव नहीं
    • अपशिष्ट जल के निस्तारण की लाग बुक तक नहीं
    • पर्याप्त बैरिकेडिंग और वाहन रैंप का अभाव
    • विंड-ब्रेकिंग वॉल, पक्की सड़कें और वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन तक नहीं लगाए गए
    • बिना उपचारित अपशिष्ट जल खुले में छोड़ा जा रहा है।

    मानव अधिकार आयोग की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चेतावनी

    • सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई और समान रूप से पालन कराया जाए।
    • हर इकाई का कम से कम हर 30 दिन में एक बार बिना किसी पूर्व सूचना के निरीक्षण किया जाए।
    • जब तक 8–10 फीट ऊंचे पेड़ों की हरित पट्टी, बैरिकेडिंग, पुनर्चक्रण टैंक, जल छिड़काव, विंड-ब्रेकिंग वॉल, स्मॉग गन और अन्य अनिवार्य शर्तें पूरी नहीं होतीं, तब तक सीटीई/सीटीओ जारी या नवीनीकरण न किया जाए।
    • अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले ताजा कार्रवाई रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश की जाए।

    अब कई विभाग आयोग के रडार पर

    आयोग के असिस्टेंट रजिस्ट्रार डाॅ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए वन एवं वन्यजीव विभाग, खान एवं भूविज्ञान विभाग, हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो और पंचकूला के पुलिस आयुक्त को भी 26 जनवरी 2026 से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्ट आयोग को सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

    मानव अधिकार आयोग के इस सख्त रुख से यह साफ हो गया है कि पंचकूला में अवैध खनन और प्रदूषण फैलाने वालों की अब खैर नहीं। अगर निर्देशों की अनदेखी हुई तो आने वाले दिनों में और भी बड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।