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    पंचकूला में अब तक नहीं मिला डेयरी मालिकों को प्लॉट, प्यारे लाल ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार; DC के खिलाफ याचिका दायर

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 10:35 AM (IST)

    पंचकूला में डेयरी मालिकों को वैकल्पिक स्थल आवंटित न करने पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना के मामले में डिप्टी कमिश्नर मोनिका गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता प्यारे लाल ने आरोप लगाया कि 2009 के आदेश के बावजूद 16 साल से डेयरी मालिकों को वैकल्पिक जगह नहीं मिली। कोर्ट ने प्रशासन से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।

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    पंचकूला डेयरी आवंटन मामले में हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना पर डीसी के खिलाफ याचिका दायर। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 2009 के आदेश की पालना न होने पर एक प्रभावित व्यक्ति ने पंचकूला की डिप्टी कमिश्नर मोनिका गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि लगभग 16 साल बीत जाने के बावजूद डेयरी मालिकों को वैकल्पिक स्थल अब तक आवंटित नहीं किए गए।

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    याचिकाकर्ता प्यारे लाल, जो पंचकूला के सेक्टर-19 के निवासी हैं, ने अवमानना अधिनियम के तहत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि 29 अप्रैल, 2009 को दिए गए आदेश की जानबूझकर अवहेलना की गई है। यह मामला 2007 में दायर उस याचिका से जुड़ा है, जिसमें बताया गया था कि पंचकूला के सेक्टर-5 के विकास के लिए ग्रामीण भूमि अधिग्रहित की गई थी और इसके बदले में प्रभावितों को सेक्टर-19 में प्लाट दिए गए थे।

    कई परिवारों ने अपने घरों से डेयरी और छोटी दुकानें चलाना जारी रखा, लेकिन प्रशासन ने इसे रिहायशी क्षेत्र के दुरुपयोग के रूप में मानते हुए कार्रवाई शुरू कर दी। हाई कोर्ट ने वर्ष 2009 में आदेश दिया था कि तत्काल एक कमेटी का गठन किया जाए, जो डेयरी मालिकों के लिए वैकल्पिक साइट की पहचान कर राज्य सरकार को दो माह के भीतर सिफारिशें भेजे। इसके बाद सरकार को तीन माह में अंतिम निर्णय लेना था।

    हाल ही में दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि जून 2022 में भी प्रशासन को अनुपालन की याद दिलाने वाला पत्र भेजा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पहले दायर एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान प्रशासन ने कहा था कि भूमि चिन्हित कर ली गई है, केवल विकास कार्य लंबित है। इस आश्वासन के आधार पर कोर्ट ने 29 जनवरी, 2024 को याचिका निरर्थक मानते हुए खारिज कर दी थी।

    प्यारे लाल ने अब फिर से याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि जनवरी 2024 के आश्वासन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन की मंशा आदेश का पालन करने की नहीं है। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुवीर सहगल ने सरकार से जवाब मांगा है। अब यह मामला 21 जुलाई को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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