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    दीवाली पर अलर्ट मोड में रहेगा पंचकूला सिविल अस्पताल, आई स्पेशलिस्ट और सर्जन रहेंगे ड्यूटी पर तैनात

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 05:10 PM (IST)

    दीवाली की रात पंचकूला का सिविल अस्पताल पूरी तरह से अलर्ट पर रहेगा। पटाखों से होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए इमरजेंसी वार्ड में विशेष व्यवस्था की गई ...और पढ़ें

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    सेक्टर-6 स्थित सिविल अस्पताल की मेडिकल टीम पूरी तरह मुस्तैद रहेगी।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। दीवाली की रात जब पूरा पंचकूला दीपों और आतिशबाजी से जगमगाएगा, उस समय सेक्टर-6 स्थित सिविल अस्पताल की मेडिकल टीम पूरी तरह मुस्तैद रहेगी। आतिशबाजी के दौरान घायल होने वाले लोगों को तुरंत इलाज देने के लिए अस्पताल प्रशासन ने व्यापक तैयारियां कर ली हैं। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक दीवाली की रात इमरजेंसी वार्ड को पूरी तरह एक्टिव मोड में रखा गया है।

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    इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर, आई सर्जन और जनरल सर्जन की ड्यूटी विशेष रूप से लगाई गई है ताकि किसी भी तरह की आंख, चेहरा या शरीर पर चोट के मामले में मरीज को तुरंत राहत दी जा सके। साथ ही आवश्यक दवाइयों, पट्टियों और प्राथमिक उपचार सामग्री का पूरा स्टॉक पहले ही इमरजेंसी वार्ड में उपलब्ध करा दिया गया है।

    प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर आरएस चौहान ने बताया कि हर साल दीवाली के दौरान आतिशबाजी से आई इंजरी और बर्न इंजरी के मामले बढ़ जाते हैं, इसलिए इस बार पहले से ही अतिरिक्त तैयारी की गई है। इसके लिए अस्पताल में एक अलग आकस्मिक वार्ड भी बनाया गया है, जहां जरूरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा।

    अस्पताल प्रशासन ने आम नागरिकों को भी सतर्क रहने की अपील की है। डाॅक्टरों ने कहा कि यदि किसी की आंख में आतिशबाजी का कण या धुआं चला जाए तो सबसे पहले आंख को ठंडे पानी से धोएं, साफ काटन पैड से हल्के हाथों से पोंछें और उसे ढककर तुरंत नजदीकी डाॅक्टर या अस्पताल पहुंचे। आंख को रगड़ने या घरेलू उपचार करने की गलती बिल्कुल न करें। यह भी स्पष्ट किया कि दीवाली की रात किसी भी मरीज के उपचार में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी। सभी ड्यूटी पर मौजूद डाॅक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दें और मरीजों को प्राथमिकता से इलाज मुहैया कराएं।

    अस्पताल प्रशासन का कहना है कि त्योहार की खुशी तभी सार्थक है जब सुरक्षा के साथ मनाया जाए। लोगों से अपील की गई है कि वे बच्चों को आतिशबाजी के समय अकेला न छोड़ें, सुरक्षात्मक दूरी बनाए रखें और सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करें।
    में न बदल जाए।