'अधिकारी इतने भी नादान नहीं कि उनसे भूल हो जाए...', हाईकोर्ट ने गलत तरीके से लाभ लेने वाले अफसरों से वसूली के दिए आदेश
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के वरिष्ठ लेखा अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी, जिसमें पुरानी तिथि से वेतन और पेंशन लाभ ...और पढ़ें

हाईकोर्ट का फैसला: गलत तरीके से लाभ लेने वालों से होगी वसूली।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के वरिष्ठ लेखा अधिकारियों की उस याचिका को सख्ती से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने वेतन और पेंशन लाभ का फिक्सेशन पुरानी तिथि से लागू करने की मांग की थी। अदालत ने साफ कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी ही गलतियों या गलत कार्रवाइयों का फायदा नहीं उठा सकता।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने विस्तृत आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के फैसले की गलत व्याख्या करते हुए खुद को वर्षों पहले से संशोधित वेतनमान का लाभ दे दिया, जबकि बोर्ड ने 2015 में स्पष्ट किया था कि संशोधित वेतन सिर्फ एक सितंबर 2015 से ही नकद रूप में मिलेगा।
इसके बावजूद वित्त और लेखा विभाग में तैनात इन अधिकारियों ने, जो खुद इस तरह की फाइलों के संरक्षक होते हैं, 2002 और 2007 जैसी पुरानी प्रमोशन तिथियों से ही उच्च वेतनमान के लाभ जारी कर लिए।
जांच में यह भी सामने आया कि मामले से जुड़ी मूल फाइलें बिजली विभाग से गायब थीं, जिस पर निगम ने पुलिस में शिकायत दी। अदालत ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि विशेषज्ञ माने जाने वाले अधिकारी नियमों को समझने में चूक गए। सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां किसी कर्मचारी ने धोखाधड़ी या जानबूझकर की गई अनियमितता से लाभ उठाया हो, वहां रिकवरी रोकी नहीं जा सकती।
अदालत ने यह टिप्पणी भी की कि धोखाधड़ी सब कुछ खत्म कर देती है और कोई व्यक्ति अपने ही गलत काम के आधार पर फायदा नहीं मांग सकता। रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने इसे महज प्रशासनिक भूल मानने से इनकार कर दिया और कहा कि पूरे घटनाक्रम से गंभीर अनियमितता और पद के दुरुपयोग की आशंका झलकती है। इन्हीं कारणों से कोर्ट ने याचिका पूरी तरह खारिज कर निगम को गलत तरीके से दिए गए सभी वेतन और पेंशन लाभ की रिकवरी करने का अधिकार दे दिया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।