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    हरियाणा में अधिक ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोरों की अब खैर नहीं, अगले 15 दिन में हो जाएगी पहचान

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 06:36 PM (IST)

    हरियाणा में सूदखोरों के खिलाफ पुलिस का अभियान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक ने सभी पुलिस अधीक्षकों को 15 दिनों में सूदखोरों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। सूदखोर ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज देकर शोषण करते हैं मारपीट करते हैं और संपत्ति हड़प लेते हैं। सूदखोरी रोकने के लिए कानून भी बन सकता है।

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    पुलिस महानिदेशक ने अगले 15 दिनों तक सूदखोरों की पहचान करने को कहा।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।  हरियाणा में अधिक ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोरों पर अब शिकंजा कसा जाएगा। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने सभी पुलिस अधीक्षकों को अगले 15 दिनों तक अपने-अपने जिलों में सूदखोरों की पहचान करने को कहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर यह अभियान निरंतर चलता रहेगा। गरीब व जरूरतमंद लोगों को काफी ऊंची ब्याज दरों पर पैसे देने और ब्याज नहीं दे पाने की स्थिति में मारपीट व शोषण करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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    कई मामलों में ऐसे पीड़ित लोगों की प्राॅपर्टी और ज्वेलरी तक हड़प ली जाती है। पुलिस के पास ऐसी भी सूचनाएं हैं कि ब्याज नहीं दे पाने की स्थिति में अमानवीय कृत्य किए जाते हैं और परिवार के सदस्यों का अपहरण तक कर लिया जाता है। सूदखोरी का काम गांवों व शहरों के अलावा बाकायदा आफिस खोलकर भी किया जा रहा है। इन आफिस के बाहर और भीतर बाउंसर तैनात रहते हैं।

    ब्याज और मूल राशि नहीं दे पाने वालों को बाउंसर मारपीट करते हुए गाड़ियों में डालकर अपने कार्यालय में अथवा अज्ञात ठिकानों पर ले जाते हैं और फिर उन्हें तब तक नहीं छोड़ते, जब तक उनके परिवार वालों की ओर से रकम और ब्याज का भुगतान किसी न किसी रूप में नहीं कर दिया जाता। हर जिले में ऐसे सूदखोरों की संख्या हजारों में हैं। कुछ लोग सूदखोरी का काम चोरी-छिपे कर रहे हैं तो कुछ खुले रूप से दफ्तर बनाकर कर रहे हैं।

    करनाल के मधुबन में दो दिवसीय क्राइम मीटिंग के दौरान पुलिस महानिदेशक ने सूदखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति और इससे होने वाले नुकसान पर विस्तृत चर्चा की। डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों से कहा कि वे सूदखोरी की अमानवीय प्रथा पर कठोर रुख अपनाएं। पुलिस प्रदेशभर में सूदखोरों के अत्याचार के खिलाफ विशेष अभियान चलाएगी।

    इस दौरान ऐसे सभी अत्याचारी सूदखोरों की पहचान कर उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जो अपने पैसे के लिए किसी भी सीमा तक जाने से परहेज नहीं करते। ऐसे सूदखोर लोग जरूरतमंदों को ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज देकर और ब्याज वसूली के नाम पर शोषण, धमकी और दबाव डालते हैं।

    यह लोग गरीब और असहाय लोगों की संपत्ति तक हड़प लेते हैं। यह स्थिति न केवल समाज की आर्थिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है, बल्कि मानव गरिमा पर भी गंभीर आघात है। इस कार्य में मानवाधिकारों का भी खुला उल्लंघन किया जाता है।

    कपूर ने कहा कि ऐसे सूदखोरों की अवैध कमाई और संपत्ति को नियमानुसार अटैच किया जाएगा। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि अभियान को जनहित से जोड़ते हुए लोगों को जागरूक करें ताकि कोई भी आम नागरिक ऐसे सूदखोरों के जाल में न फंसे। एक सवाल के जवाब में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि गांव और शहरों में भाईचारा आज भी कायम है। भाईचारे में कोई किसी की मदद करे तो यह मानवीयता है, लेकिन ऊंची ब्याज दरों पर पैसा देना और फिर पैसा वापस लेने के लिए अत्याचार करना किसी सूरत में स्वीकार योग्य नहीं है।

    उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की तर्ज पर हरियाणा में कानून संभव

    निकट भविष्य में हरियाणा सरकार सूदखोरी रोकने को कानून भी बना सकती है। राज्य सरकार विदेश में रोजगार के लिए जाने वालों को डोंकी तरीके से बचाने व अवैध एजेंटों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कानून बना चुकी है। उत्तर प्रदेश में सूदखोरी निषेध अधिनियम कार्यरत है, जबकि मध्यप्रदेश में भी साहूकार अधिनियम उधारकर्ता सूदखोरी के मामलों में कानूनी बचाव का लाभ प्रदान करता है। इन कानूनों में दंड के रूप में ब्याज की वापसी, अतिरिक्त शुल्क और यहां तक कि जेल भी हो सकती है, लेकिन अक्सर ये कानून जमीनी स्तर पर अप्रभावी होते हैं।

    उत्तर प्रदेश में सूदखोरी का काम करने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। कई बार बैंकों से लोन लेने में कागजी झंझट और देरी के कारण लोगों को सूदखोरों के पास जाना पड़ता है। वित्तीय समावेशन जैसी सरकारी योजनाएं कागजों पर जरूरतमंद लोगों की मददगार दिखती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका लाभ हर किसी तक नहीं पहुंच पाता, जिस कारण सूदखोरी को बढ़ावा मिलता है। सूदखोरी एक आर्थिक और सामाजिक समस्या भी है, जो मानसिक दबाव और सामाजिक शर्मिंदगी पैदा करती है।